भारत ने अपने ही हाथों आतंकवादी संगठन घोषित किए गए समूहों के नेताओं को प्रतिबंधित करने में महीनों लगाने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तीखी आलोचना की है। भारत द्वारा यह एतराज पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया अजहर मसूद पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश को तकनीकी आधार पर खटाई में डालने पर किया गया।
पाक अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना की ओर से किए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की आईएसआई जवाब देने के लिए बेचैैन है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की ये खुफिया एजेंसी भारत में आतंकी हमले करवा कर बदला लेने की फिराक में है।
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण कैंप अब राजस्थान से लगी पाक सीमा पर शिफ्ट हो रहे हैं। यह गतिविधि पिछले एक माह से चल रही है। खुफिया एजेंसियों से सूचना मिलने के बाद पश्चिमी सीमा पर तैनात सेना, बीएसएफ और राजस्थान पुलिस इस हरकत पर सावधान हो गई है। प्रदेश के एक आला पुलिस अधिकारी का कहना है कि सीमा पर सैन्य कैम्प शिफ्ट करने के लिए पाकिस्तानी सरकार समाजसेवा का बहाना बनाकर इजाजत दे रही है।
उरी अटैक के बाद अपने पहले भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत पाकिस्तान को विश्व बिरादरी में अलग-थलग करने में कामयाब होगा। जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर से सुरक्षाबलों जैश-ए-मुहम्मद के दो गाइड को गिरफ्तार किया है। आशंका है कि दोनों ने आतंकियों को सीमा पार कराने में मदद दी। सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों को मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर ने खुद ट्रेनिंग दी। दोनों ने 12 से 18 आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराया। सेना इस बात की जांच कर रही है कि क्या उरी अटैक के हमलावर भी इन्हीं की मदद से भारत की सीमा पार किए थे।
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर ने दावा किया है कि भारत ने पैसों के बल पर तालिबान से उसे खरीदने की कोशिश की थी। उसने कहा कि 1999 में कंधार में अपहरण किए गए भारतीय विमान आईसी-814 के यात्रियों और क्रू की अदला-बदली करने के बाद भारत ने तालिबान सरकार को पैसे की पेशकश की थी ताकि वो मसूद और उसके दो अन्य साथियों को पकड़कर उसेे सौंप दे।