विचारक एवं पूर्व भाजपा नेता के एन गोविंदाचार्य ने नोटबंदी के बाद जनता की परेशानी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। गोविदांचार्य ने सरकार से पीड़ित लोगों के लिए मुआवजे की मांग की है।
जाने-माने चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने 1,000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा की सराहना की और इसे साहसी कदम बताया, साथ ही यह सवाल भी किया कि 2000 रूपये के नये नोट जारी करने की क्या जरूरत थी ?
मोदी सरकार को राज्यों के साथ भरोसे का संवाद बनाने की सलाह देते हुए जाने माने चिंतक के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार के ढाई साल के काम में कुछ कर दिखाने का इरादा झलकता है और प्रधानमंत्री काफी परिश्रम कर रहे हैं लेकिन परिणाम आने में अभी समय लगेगा।
गाय को पवित्र कब से माना गया और क्यों माना गया, यह व्यापक विवाद और विमर्श का विषय है। इस बात पर भी भयंकर मतभेद है कि प्राचीन सभ्यताएं गोमांस को स्वीकृति देती थीं और भारत के आदिकालीन निवासी अपने खान-पान में उसे शामिल करते थे। आर्ष ग्रंथों में आई उन बातों को भी अब कोई नहीं सुनता है कि किसी जमाने में गौमेध यज्ञ भी हुआ करते थे। अब जब गाय को पवित्र मान कर उसे मां का दर्जा दे ही दिया गया है और उसे आस्था की वस्तु बनाकर आलोचना से परे रख दिया गया है तो उस पर बहस की कोई गुंजाईश रही ही कहां है। अब तो ‘वन्दे धेनुमातरम‘ और ‘जय गोमाता‘ कहो, गोकथा कराओ, गोदूध महोत्सव मनाओ, गोशाला चलाओ, गोमंदिर बनाओ, गोकुल धाम निर्मित करो और गोअनुसंधान एवं गोरक्षा के नाम पर तरह-तरह के संगठन और सेनाएं बनाकर जमकर हंगामा मचाओ। आज गाय के नाम पर सब कुछ जायज है क्योंकि गाय हमारी माता है, गाय की रक्षा करना हमारा धर्म है, यह पुण्य का काम है।