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सांप-चंदन ट्वीट के बाद लालू से मिले नीतीश

सांप-चंदन ट्वीट के बाद लालू से मिले नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हालिया सांप-चंदन टिप्पणी से सहयोगी राजद खेमे में खलबली मचने के बाद मुख्यमंत्री परोक्ष रूप से विवादों को दूर करने के लिए गुरुवार की रात राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से मिले। राजद प्रमुख के करीबी सहयोगी और विधानपार्षद भोला यादव ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि कुमार बिना किसी सुरक्षा घेरे के रात में करीब 10 बजे प्रसाद के 10 सर्कुलर रोड आवास पर गए और बड़े भाई (प्रसाद) के साथ एक घंटे तक रहे।
लालू से कभी दिल का रिश्ता नहीं रहा: पासवान

लालू से कभी दिल का रिश्ता नहीं रहा: पासवान

संप्रग एक की सरकार में लालू प्रसाद के साथ केंद्रीय मंत्री रहे और वर्ष 2009 का लोकसभा और 2010 का विधानसभा चुनाव उनके साथ मिलकर लड़ने वाले बिहार के वरिष्ठ दलित नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि लालू के साथ रहने के जमाने में भी कभी दोनों के दिल नहीं मिले।
भाजपा के रथ के सामने टमटम उतारेंगे लालू

भाजपा के रथ के सामने टमटम उतारेंगे लालू

राजद टमटम (तांगा) के जरिये भाजपा के परिवर्तन रथ का मुकाबला करेगा, जिसे विधानसभा चुनाव से पहले राजग की नीतियों के बारे में जनता को अवगत करने के लिए बिहार में निकाला जा रहा है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी 1000 टमटमों के साथ 160 परिवर्तन रथों का मुकाबला करेगी।
नेहरू-नफरत के पीछे दिमाग की सड़न

नेहरू-नफरत के पीछे दिमाग की सड़न

नेहरू की अनेक जीवनियां मौजूद हैं जो गहन शोध के बाद लिखी गई हैं। लेकिन उनके अलावा जनश्रुतियाँ भी हैं। उनकी जो तस्वीर जनमानस में नक्श है, वह अधिकतर अफवाहों से बनाई गई है। आप साधारण जन से बात करें तो उनकी छवि एक आरामतलब,ऐय्याश,धोखेबाज,भाई-भतीजावादी नेता और कमजोर प्रशासक की ही उभरती है।
राजकमल चौधरी का रचना संसार

राजकमल चौधरी का रचना संसार

राजकमल प्रकाशन से आठ खंडों में प्रकाशित राजकमल चौधरी रचनावली के प्रथम दो खंडों में कविता, तीसरे-चौथे खंड में कथा, पांचवे-छठे खंड में उपन्यास, सातवें खंड में निबंध-नाटक और अंतिम खंड में पत्र-डायरी को शामिल किया गया है।
बेचारा नहीं रहा बिहार: नी‍तीश कुमार

बेचारा नहीं रहा बिहार: नी‍तीश कुमार

बिहार की राजनीति में अलग अंदाज में गठजोड़ करने में वह माहिर हैं। पुराने गठजोड़ों को नया रंग देने की कला में वह निपुण हैं। स्थिति के हिसाब से दुश्मनों को दोस्त और पुराने साथियों से अखाड़े में कुश्ती की कला में पारंगत हैं। जब ये लगने लगे कि बिहार उनके हाथ से निकल ही गया तो फिर वह अपनी नई चाल से खेवनहार बनने की दावेदारी पेश करते हैं। जिनको सत्ता से हटाने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी की कतारों को लामबंद किया, उन्हीं लालू प्रसाद यादव के साथ आज वह गलबहियां डाल उगता बिहार, नूतन बिहार के नारे के साथ वोट मांगने की तैयारी में हैं।
बिहार से निकलेगी दिल्‍ली की राह?

बिहार से निकलेगी दिल्‍ली की राह?

पुरानी राजनीति में पगे पर्यवेक्षक बार-बार पूछ रहे हैं कि लालू प्रसाद अपने अहम और जनाधार की आशंकाओं को ताक पर रखकर नीतीश के नाम पर राजी कैसे हो गए। लालू के निजी हावभाव भरमाने वाले भले रहे हों, सार्वजनिक तौर पर उनके वक्तव्य पिछले लोकसभा चुनावों में हार के बाद पिछले उपचुनावों के वक्त से ही भाजपा विरोधी संयुक्त मोर्चे के लिए प्रतिबद्धता के रहे हैं।
गठबंधन पर विधायकों-सांसदों से सुझाव लेने में जुटे नीतीश

गठबंधन पर विधायकों-सांसदों से सुझाव लेने में जुटे नीतीश

अगले कुछ महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद के साथ गठबंधन को लेकर गतिरोध और दोनों दलों में जारी जुबानी जंग के कारण बढ़ते तनाव के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीनी हकीकत जानने के लिए जद-यू विधायकों और सांसदों से सुझाव लेना शुरू कर दिया है।
मम्मा की डायरी के बहाने

मम्मा की डायरी के बहाने

इंडिया हैबिटेट सेंटर का केसोरिना हॉल। जब हम पहुंचे तो हॉल में गिनती के लोग। देखते ही देखते हॉल में बच्चों की शैतानियां शुरू हो गईं। मम्मियों की आंखें लाल होने लगीं और इस सबके बीच सज गया मंच, ‘मम्मा की डायरी’ पर बातों के लिए। नताशा ने संचालन का जिम्मा उठाया और लेखिका अनु सिंह चौधरी ने बातों की भूमिका बांधी। एक सवाल के साथ, ‘मैं मां न होती तो न जाने क्या होती?’ औपचारिक शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों की बनाई फिल्म, ‘आओगी न मां’ से हुई। संवाद के तौर-तरीके चिट्ठी-पत्री से बदल कर ईमेल तक पहुंचे।
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