डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, स्क्रीन राइटर, कॉस्ट्यूम डिजाइनर और एक एक्टर के तौर पर अपना हुनर दिखाने वाले करण जौहर आज 44 साल के हो गए हैं। करण बॉलीवुड के एक ऐसे निर्देशक हैं जिन्होंने आज की युवा पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए फिल्मों का निर्माण किया। फिर चाहे बात ‘कुछ कुछ होता है’ की हो या फिर ‘स्टूडेंट ऑफ दि ईयर‘ की हो। करण जौहर ने एक से बढ़कर एक अच्छी फिल्में निर्देशित की हैं।
बाहुबली की सफलता ने करण जौहर को भी खूब मुनाफा दिया। नॉर्थ में फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी उनके पास ही थी। अब जब बाहुबली का खुमार उतरा है तो उन्हें अपने प्रोजेक्ट शुद्धि की याद आई है। उम्मीद है जल्द ही वह इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम करेंगे।
फिल्म उद्योग में भाई-भतीजावाद पर बहस की शुरूआत करने वाली बिंदास अभिनेत्री कंगना रनौत का कहना है कि करण जौहर के चैट शो में उन्होंने जो टिप्पणी की थी वह उनका आकलन थी और इसका यह मतलब कतई नहीं है कि उन्हें फिल्मी हस्तियों की संतानों के बॉलीवुड का हिस्सा बनने पर कोई एतराज है। यह बात कंगना ने मंगलवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कही।
जाने-माने अभिनेता अनुपम खेर का कहना है कि वह भार्ई-भतीजावाद से जुड़ी बहस पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं क्योंकि ऐसा करने पर यह संदेश जाएगा कि वह या तो करण जौहर का पक्ष ले रहे हैं या फिर कंगना रनौत का।
करण जौहर को एकल पापा बनने की दोहरी खुशी भले ही हुई हो लेकिन सरोगेसी (किराए के कोख) की प्रैक्टिस से जुड़ी प्रजनन विशेषज्ञों को उन्होंने ढेर सारा गम दे दिया है। उन्हें लगता है कि उनकी वजह से अब भारत में सरोगेसी का खात्मा तय है। वे करण जौहर को कोस रही हैं। क्या विडंबना है कि जिस विधि ने उन्हें पापा बनने की इतनी खुशी दी, उसी विधि को उन्हीं की वजह से अपूरणीय क्षति भी पहुंचेगी।
फिल्म निर्माता करण जौहर ने कहा है कि उनके शो कॉफी विद करण के इस इस सीजन पर आने वाले मेहमान बहुत संभलकर बातें कर रहे हैं और इसकी वजह यह है कि वह जो कुछ भी बोलते हैं उसका बहुत अधिक विश्लेषण किया जाता है।
इस बार दर्शकों के सामने दो फिल्में बॉक्स ऑफिस पर आई हैं। दोनों चर्चित और बड़ी फिल्में हैं। लेकिन यदि दर्शकों जो भी फिल्म देख लें या तो वे कुएं में गिरेंगे या खाई में। अजय देवगन और करण जौहर दोनों ही ने अपनी कमजोर निर्देशकीय पारी खेली है।
देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि सेना को दिया जाने वाले दान स्वेच्छा से होना चाहिए, इसके लिए किसी पर जोर-जबरदस्ती की जरूरत नहीं है। यह बात उन्होंने राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस द्वारा फिल्म निर्माताओं पर दान देने का दबाव बनाने के संदर्भ में कही। राज ठाकरे के इस मांग की कई लोगों ने आलोचना की है।