भारत ने ईरान से कच्चे तेल आयात की मात्रा कम की तो ईरान ने बदले में आयातित तेल के भुगतान का समय तीन माह से घटाकर दो माह कर दिया साथ ही भाड़ा दर भी बढ़ा दी।
भारत को बेईमानों से मुक्ति दिलाने का संकल्प दोहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के बाद बैंकों और एटीएम के आगे लंबी कतारें लगने पर आज कहा कि मिटटी का तेल और चीनी के लिए 70 साल से कतारें लगा रही जनता से वह आखिरी बार कतार लगवा रहे हैं।
देश के कई हिस्सों में नोटबंदी की आड़ में खाने-पीने की आवश्यक वस्तुओं को लेकर अफवाह का बाजार गर्म कर नाजायज फायदा उठाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। शुक्रवार की शाम को राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में नमक को लेकर अफवाह फैली जिसके बाद दुकानों से 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक नमक बेचे गए।
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) का शुद्ध लाभ 30 सितंबर को समाप्त तिमाही में 6 प्रतिशत बढ़ गया। कंपनी ने सरकार के विनिवेश से पहले तरलता बढ़ाने को बोनस शेयर की घोषणा की है।
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के प्रस्तावित चार स्तरीय ढांचे से आम आदमी प्रभावित हो सकता है। इस कर ढांचे के अमल में आने से आम आदमी की रसोई में काम आने वाले खाद्य तेल, मसाले और चिकन जैसा सामान महंगा हो सकता है। अप्रत्यक्ष कर के इस ढांचे में दूसरी तरफ कुछ टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर्स, फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि करों में कमी से सस्ते हो सकते हैं।
रूस की सरकारी पेट्रोलियम कंपनी रोजनेफ्ट और उसके भागीदारों ने भारत की दूसरी सबसे बड़ी निजी पेट्रोलियम कंपनी एस्सार ऑयल के अधिग्रहण का आज करार किया। पूरी तरह नकद लेन-देन के आधार पर हुए इस सौदे का मूल्य करीब 13 अरब डालर आंका गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी), ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) तथा भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के समूह को रूस के दो तेल क्षेत्रों में 3.14 अरब डालर में हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
राज्यों को इस साल केंद्र से राजस्व में हिस्सेदारी के तहत जबरदस्त उछाल आने की उम्मीद है क्योंकि इस बार उन्हें पेटोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के हिस्से के तहत 24,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे।
देश में पिछले दो सालों में खाने पीने की चीजों के दामों में बेेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। लोग इसका रोना भी रो रहे हैं। लेकिन रोजमर्रा के उपयोग की इन वस्तुओं के दामों में कोई कमी नहीं आई। इन सबके बीच शिक्षा पर भी महंगाई की मार पड़ी है। पिछले दो सालोंं में स्कूलों की फीस और शिक्षण सामग्री भी महंगी हुई है।