इस बार हॉलिवुड के प्रतिष्ठित ऑस्कर की लिस्ट में 57 देशों के 774 नए सदस्य हैं, जो रिकॉर्ड संख्या है। इससे पहले ऑस्कर की तरफ से 683 लोगों को इनवाइट किया गया था।
डीयू की पहली कटऑफ लिस्ट में पिछले साल के मुकाबले गिरावट देखी गई है। इस साल बड़े कॉलेजों जैसे श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, रामजस, हंसराज किरोड़ीमल कॉलेज की कटऑफ में 0.50 से 3% तक की गिरावट दर्ज की गई है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आज तीसरे राउंड की लिस्ट जारी कर दी। स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट में तिरुवनंतपुरम टॉप पर है। पहले राउंड में 20 शहरों की घोषणा की गई थी, जिनमें भुवनेश्वर टॉप पर रहा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज ने आज अपनी पहली कट-ऑफ लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट को देखने के लिए विद्यार्थी आधिकारिक वेबसाइट www.ststephens.edu पर जाकर देख सकते हैं। कॉलेज की पहली कट-ऑफ लिस्ट विद्यार्थियों के लिए थोड़ी राहत भरी है।
देश के विभिन्न हिस्सों में एक ओर जहां कर्ज माफी को लेकर किसान आंदोलित हो रहे हैं, तो वहीं इसी बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि केंद्र इस मुद्दे पर किसानों की कोई मदद नहीं करेगा। रविवार को महाराष्ट्र सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने का फैसला किया है। वहीं, मध्यन प्रदेश में भी किसान अपनी तमाम मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर राज्य की भाजपा सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि राज्य की कानून-व्यवस्था दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। उन्होंने प्रश्न करते हुए कहा कि भाजपा ने चुनावी वादे क्या सरकार बनाने के लिए ही किए थे।
केंद्र सरकार ने 2017 में किए गए सर्वे के बाद स्वच्छ शहरों की सूची पेश की है उसमें कुछ शहरों को निचले पायदान पर रखा गया है। वहीं कुछ शहरों को एक-दो सालों के अंतराल में ही शीर्ष स्थान में शामिल किया गया है। सरकार के मापदंडों के आधार पर शहरों का क्रम विकास के पैमाने को अवश्य परिभाषित कर रहा है लेकिन कुछ खास शहरों का पीछे रह जाना कुछ सवाल भी पैदा कर रहा है।
एक मई से रेरा एक्ट लागू हो गया है। रीयल इस्टेट सेक्टर में हो रही मनमानी के मद्देनजर ‘द रीयल इस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016’ (रेरा) को प्रभावी किया गया है।
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकारों को राशन की दुकानों (पीडीएस) पर यह दर्शाना चाहिए कि खाद्यान्न पर केंद्र और राज्यों द्वारा कितनी-कितनी सब्सिडी दी जा रही है। यह जानकारी सार्वजनिक होने के बाद गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने में किसका कितना योगदान है उसके बारे में तस्वीर स्पष्ट हो जायेगी और अकेले राज्य इसका श्रेय नहीं ले पायेंगे।