बॉलीवुड फिल्मजगत में आजकल बायोपिक बनाने का काफी ट्रेंड है। अक्सर फिल्म निर्माता और सेलेब्स बायोपिक में हाथ अजमाते नजर आते हैं। हाल ही में सचिन तेंदुलकर की बायोपिक के बाद अब योग गुरु बाबा रामदेव की बायोपिक देखने को मिलेगी।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज एक बार फिर भाजपा और सहयोगी संगठन गो-रक्षक दल को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि गो-रक्षक जो खुद को पशु एवं गाय के प्रति संवेदनशील कहते हैं, उनका यह पहला कर्तव्य है कि सड़क पर लावारिस घूम रहे जानवरों के लिए खास गोशाला बनाकर उनको उसमें रखें और उनकी सेवा करें।
योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि अब एक नई योजना को सफल बनाने में जुट गई है। इस नई योजना के तहत कंपनी बैल से बिजली बनाएंगे, जिसके लिए वह 'बुल पावर' पर काम रहे हैं। इस आइडिया पर पिछले डेढ़ साल से काम किया जा रहा और कुछ सफलता भी मिली है।
उत्तर प्रदेश में सत्ता सम्हालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक-एक कर नए बदलाव करते जा रहे हैं। इसके लिए सपा शासनकाल में शुरू हुई कई योजनाओं को भी बंद किया जा रहा है। अब अखिलेश यादव द्वारा लांच किया स्मार्टफोन स्कीम भी रद्द कर दिया गया।
फिल्म निर्माता तिग्मांशु धूलिया क्रिकेट के बाहर अनजान और साहसी संघर्ष के लिए पहचाने गए एक दलित गेंदबाज बालू पालवणकर के जीवन पर फिल्म बनाने वाले हैं। यह फिल्म बाएं हाथ के स्पिनर बालू पालवणकर की कहानी बयां करेगी, जिन्होंने वर्ष 1900 की शुरुआत में हिंदू जिमखाना क्लब के लिए खेला था। बालू दलित समुदाय के पहले सदस्य थे जिन्होंने इस खेल पर अपनी महत्वपूर्ण छाप छोड़ी। अपने समय के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर होने के बाद भी बालू को दलित होने के कारण कभी टीम का कप्तान नहीं बनाया गया।
यह अपने आप में एक अलग तरह की शादी थी। पूर्वी सिंहभूम जिले के बदिया में दूल्हे के घर में एक शौचालय के निर्माण के कुछ घंटों के भीतर एक मंदिर में उसकी कैशलेस शादी संपन्न हुई। शादी से पहले पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर में इतिहास गांव की निवासी दुल्हन सुनीता और दूल्हे सुभाष नायक के परिवार के सदस्यों ने एक साथ मिल कर नायक के गांव बदिया में स्थित उनके घर में एक शौचालय के निर्माण कार्य में भागीदारी की।
एलिस्टेयर कुक ने आज कहा कि वह भारत के खिलाफ श्रृंखला में शिकस्त को देखते हुए अपनी टेस्ट कप्तानी को खेलकर कोई बेवकूफाना फैसला नहीं करेंगे लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें यह सोचने की जरूरत है कि क्या वह कप्तान की भूमिका में सही व्यक्ति हैं।
अक्सर सुनने को मिलता है कि लॉ की पढ़ाई बोझिल है। अमूमन कानून की पढ़ाई से छात्र दूर रहने का मन करते हैं। मेट्रोपोलिटन एजुकेशन में मेक माय चॉयस पर आयोजित गोष्ठी में कानून की पढ़ाई के महत्व पर विशेषज्ञों ने जो बेहतर और ज्ञानवर्धक जानकारी दी है, वह छात्रों को इस विषय की ओर अवश्य आकर्षित करेगी।