सामाजिक ताना-बाना समझना किसी के लिए भी आसान नहीं है। इस जटिलता को भी असगर वजाहत ने बहुत अच्छी तरह न सिर्फ समझा बल्कि उसे बयान करने का शिल्प भी कमाल का है। यह शब्द जाने-माने साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के हैं, जो उन्होंने असगर वजाहत की कहानियों को पढ़ने के बाद कहे थे।
भोपाल के वनमाली सृजनपीठ ने हरि भटनागर के नए उपन्यास एक थी मैना एक था कुम्हार पर समीक्षा संगोष्ठी आजोजित की। इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार-नाटककार असगर वजाहत ने अपने विचार व्यक्त किए।