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नोटों की किल्लत : सिनेमा हालों में सन्नाटा, शो रूम में ग्राहकों का अता पता नहीं

नोटों की किल्लत : सिनेमा हालों में सन्नाटा, शो रूम में ग्राहकों का अता पता नहीं

पुराने 500 और 1000 के नोट बंद होने के एक सप्‍ताह बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पायी है। बड़ी दुकानें बंद हैं। माल मल्टीप्लेक्स में सन्नाटा है। बैंकों के सामने लंबी लंबी लाइनें लगी हैं और लोग अपने नोटों को नये नोट में बदलवाने के लिये सुबह से ही लाइन में लगे हैं।
शिवसेना का कटाक्ष, क्‍या अमित शाह की रैलियों पर नहीं खर्च होती मोटी रकम

शिवसेना का कटाक्ष, क्‍या अमित शाह की रैलियों पर नहीं खर्च होती मोटी रकम

महाराष्‍ट्र के मंत्री राजकुमार बडोले की टिप्पणी के बाद शिवेसना ने भाजपा पर करारा हमला किया है। शिवसेना ने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्‍या भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह की रैलियों पर मोटी रकम खर्च नहीं की जाती है। बडोले ने कहा था कि राज्‍य में आरक्षण पर निकाले जा रहे मराठा मार्च धन बल की वजह से कामयाब हो रहेे हैंं।
अफगानिस्तान: काबुल में भीषण बम धमाका, 61 की मौत, कई घायल

अफगानिस्तान: काबुल में भीषण बम धमाका, 61 की मौत, कई घायल

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को हुए एक भीषण बम हमले में 61 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई जबकि 207 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हो गए। एक प्रदर्शन मार्च पर हुए इस हमले की जिम्मेदारी दुर्दांत आंतवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है।
प्रधानमंत्री आवास की ओर मार्च कर रहे 52 आप विधायक हिरासत में लिए गए

प्रधानमंत्री आवास की ओर मार्च कर रहे 52 आप विधायक हिरासत में लिए गए

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक शिकायत दर्ज किए जाने के बाद सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 52 विधायकों ने आत्मसमर्पण के लिए रविवार को प्रधानमंत्री आवास की ओर मार्च किया। मार्च करने वाले विधायकों में दिल्ली सरकार के छह मंत्री भी थे जिन्हें अन्य विधायकों के साथ प्रधानमंत्री आवास के आसपास उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में लागू निषेधाज्ञा को तोड़ने के मामले में हिरासत में लिया गया। हालांकि 4 घंटे बाद पुलिस ने सभी विधायकों को छोड़ दिया।
मार्च फॉर इंडिया: इस विरोध के मायने क्या हैं

मार्च फॉर इंडिया: इस विरोध के मायने क्या हैं

इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक एक हुजूम नारे लगाता चल रहा है। इसे सोशल मीडिया ने कलबुर्गी-पानसरे की हत्या के पक्ष में भी देखा। लेकिन वहां ‘राष्ट्रवादियों’ ‘संघियों’ और ‘भक्तों’ के अलावा भी कई लोग भारत के लिए आए थे।