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कुंडली के साथ गंगा में तैरती मिली बच्ची, परिजनों ने बॉक्स में बंद कर बहाया था; ऐसे बची जान

कुंडली के साथ गंगा में तैरती मिली बच्ची, परिजनों ने बॉक्स में बंद कर बहाया था; ऐसे बची जान

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में गंगा नदी में बहते एक लकड़ी के डब्बे में 21 दिन की मासूम बच्ची मिली है।...
राकेश टिकैत का ऐलान- होगी 40 लाख ट्रैक्टरों की रैली, चरखी दादरी में आज किसान महापंचायत

राकेश टिकैत का ऐलान- होगी 40 लाख ट्रैक्टरों की रैली, चरखी दादरी में आज किसान महापंचायत

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले ढाई महीनों से आंदोलनरत किसानों का प्रदर्शन जारी है। इस बीच आज हरियाणा...
दादरी केस के मुख्य अारोपी को मिली जमानत

दादरी केस के मुख्य अारोपी को मिली जमानत

सितंबर 2015 में दादरी के बिसाड़ा गांव में अखलाक नाम के शख्स को घर में बीफ होने के शक में भीड़ ने मार दिया था। उसके लड़के दानिश को भी बुरी तरह पीटा गया था।
दादरी के बिसाहड़ा की एक जुदा तस्‍वीर पेश करेगी यह डॉक्यूमेंट्री

दादरी के बिसाहड़ा की एक जुदा तस्‍वीर पेश करेगी यह डॉक्यूमेंट्री

उत्तर प्रदेश में दादरी के बिसाहड़ा कांड ने पूरी दुनिया के सामने हिन्दू और मुस्लिमों के बीच रिश्तों की एक स्याह तस्वीर पेश की। लेकिन, यहां की हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है। यह दावा किया गया है ग्रेटर नोएडा में हिन्दू-मुस्लिम एकता और स्थानीय संस्कृति को पेश करती डॉक्यूमेंट्री ‘द ब्रदरहुड’ में जो जल्द ही रिलीज होने वाली है।
दादरी कांड: कोर्ट ने दिया अखलाक के परिवार के खिलाफ एफआईआर का आदेश

दादरी कांड: कोर्ट ने दिया अखलाक के परिवार के खिलाफ एफआईआर का आदेश

दादरी के अखलाक हत्याकांड में गुरूवार को एक नया मोड़ आ गया जब एक स्थानीय अदालत ने कथित गौकशी के मामले में अखलाक के परिवार के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दे दिया।
अब बोलीं निरंजना, गाय के अलावा खाने के लिए बहुत कुछ है

अब बोलीं निरंजना, गाय के अलावा खाने के लिए बहुत कुछ है

केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजना ज्योति ने गोवध पर प्रतिबंध लगाने को राज्य सरकारों का कर्तव्य बताते हुए कहा है कि इस देश में गाय के अलावा खाने को बहुत सी चीजें हैं। कोलकाता में गोवध और गोमांस के उपभोग के बारे में ज्योति ने कहा, ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए। यदि आप हमसे सम्मान चाह रहे हैं तो आपको पहले हमारा सम्मान करना भी सीखना चाहिए।
गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

गाय को पवित्र कब से माना गया और क्यों माना गया, यह व्यापक विवाद और विमर्श का विषय है। इस बात पर भी भयंकर मतभेद है कि प्राचीन सभ्यताएं गोमांस को स्वीकृति देती थीं और भारत के आदिकालीन निवासी अपने खान-पान में उसे शामिल करते थे। आर्ष ग्रंथों में आई उन बातों को भी अब कोई नहीं सुनता है कि किसी जमाने में गौमेध यज्ञ भी हुआ करते थे। अब जब गाय को पवित्र मान कर उसे मां का दर्जा दे ही दिया गया है और उसे आस्था की वस्तु बनाकर आलोचना से परे रख दिया गया है तो उस पर बहस की कोई गुंजाईश रही ही कहां है। अब तो ‘वन्दे धेनुमातरम‘ और ‘जय गोमाता‘ कहो, गोकथा कराओ, गोदूध महोत्सव मनाओ, गोशाला चलाओ, गोमंदिर बनाओ, गोकुल धाम निर्मित करो और गोअनुसंधान एवं गोरक्षा के नाम पर तरह-तरह के संगठन और सेनाएं बनाकर जमकर हंगामा मचाओ। आज गाय के नाम पर सब कुछ जायज है क्योंकि गाय हमारी माता है, गाय की रक्षा करना हमारा धर्म है, यह पुण्य का काम है।
लोकतंत्र बचाने के लिए जरूरी है पुरस्कार वापसी

लोकतंत्र बचाने के लिए जरूरी है पुरस्कार वापसी

पिछले कुछ हफ्तों में लेखकों वैज्ञानिकों और कलाकारों के सम्मान लौटाने की बाढ़ देखी गई। पुरस्कार लौटाने के जरिये ये सम्मानित और पुरस्कृत लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए खड़े हुए हैं। बढ़ती असहिष्णुता और हमारे बहुलतावादी मूल्यों पर हो रहे हमलों पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए इन शिक्षाविदों, इतिहासकारों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के कई बयान भी आए हैं। जिन्होंने अपना पुरस्कार लौटाया है वे सभी साहित्य, कला, फिल्म निर्माण और विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले लोगों में से हैं। इस तरह सम्मान लौटाकर उन सभी लोगों ने सामाजिक स्तर पर हो रही घटनाओं पर अपने दिल का दर्द बयान किया है।
मीट कंपनी अल-दुआ में 2008 तक निदेशक थे संगीत सोम

मीट कंपनी अल-दुआ में 2008 तक निदेशक थे संगीत सोम

दादरी हत्या मामले की पृष्ठभूमि में गोमांस सेवन के खिलाफ एक कठोर अभियान चलाने वाले तेजतर्रार भाजपा नेता संगीत सोम के बारे में यह बात सामने आई है कि वह खुद हलाल मांस के कारोबार से जुड़ी एक प्रमुख कंपनी के बोर्ड में निदेशक के तौर पर मांस व्यापार से जुड़े हुए थे।
कटघरे में संघ नहीं ‘जनता की सामूहिक चेतना’ है

कटघरे में संघ नहीं ‘जनता की सामूहिक चेतना’ है

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे दादरी में बीफ खाने की अफवाह फैलाकर सांप्रदायिक उन्मादियों द्वारा एक मुस्लिम परिवार पर हमला करके 50 वर्षीय एखलाक नाम के व्यक्ति की हत्या राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना हुआ है। कटघरे में संघ परिवार है, जिसके कुछ लोग इसे गलतफहमी में की गई हत्या बता रहे हैं तो कुछ इसे अत्यधिक जोश में की गई कार्रवाई।
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