डैथ ओवरों में टीम की गेंदबाजी से निराश कोलकाता नाइट राइट राइडर्स के मनीष पांडे ने मुंबई इंडियंस से मिली हार के बाद कहा कि उन्हें खेल के इस पहलू पर मेहनत करने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज गुजरात सरकार को इशरत जहां मामले में आरोपी रहे पुलिस महानिदेशक पीपी पांडेय की तत्काल इस्तीफा देने की पेशकश स्वीकार करने की अनुमति दे दी है, जो इस साल 30 अप्रैल तक सेवा विस्तार पर हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष विवादों में है। घोष ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की आलोचना की है। इससे राज्य की राजनीति में एकाएक गरमाहट पैदा हो गई है। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि घोष ने अमर्त्य सेन के बारे में जो नकारात्मक बातें कही है वह शर्मनाक है।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नोटबंदी को लेकर निशाना साधा है। भाजपा के सहयोगी संगठन ने पीएम मोदी पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया है। महासभा के वरिष्ठ सदस्यों ने कहा है कि नोटबंदी का फैसला मोदी सरकार के अंत की शुरुआत है।
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में जारी रस्साकशी का दौर अभी भी जारी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी मंत्री पवन पांडे को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसी बीच अखिलेश ने अचानक राजभवन पहुंच राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात की जिसके बाद अटकलें तेज हो गई हैं।
उद्योगपति मुकेश अंबानी लगातार नौंवे साल देश के सबसे अमीर व्यक्ति का तमगा हासिल करने में सफल रहे हैं। फोर्ब्स इंडिया के अनुसार अंबानी की कुल संपत्ति तेजी से बढ़ती हुई 22.7 अरब डॉलर पर पहुंच गई। इस तरह अंबानी की परिसंपत्तियां एस्टोनिया की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर हो गई।
'एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी' फिल्म को सीधे-सीधे बायोपिक नहीं कहा जा सकता। इसमें सिर्फ महेंद्र सिंह के जीवन की कुछ घटनाएं हैं। नीरज पांडे ने हालांकि पूरी कोशिश की है कि यह एक अच्छी बायोपिक फिल्म लगे। पर कहीं-कहीं लगता है कि धोनी के जीवन की कुछ परतें खुलनी फिर भी बाकी रह गई हैं।
जब लेखक और इलस्ट्रेटर मनोज पांडे ने सलमान रश्दी, मार्गरेट एटवुड और तेजू कोले जैसे अपने पसंदीदा लेखकों को उनकी प्रतिक्रिया पाने की आशा में अपने ट्वीट में टैग करना शुरू किया तब वे नहीं जानते थे कि उनकी प्रतिक्रिया भी अपने आप में लघु कहानियां ही होंगी।
रुस्तम देखते हुए कई बातें दिमाग में एक साथ चलती हैं। सन 1959 में नानावटी केस पर बनी इस फिल्म को देखते हुए लगता है कि संपादन नीरज पांडे की फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत है। शायद यही वजह है कि रुस्तम की धीमी कहानी भी पकड़ छूटने नहीं देती।