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कसाब-गांधी के संवाद के बहाने

कसाब-गांधी के संवाद के बहाने

‘कसाब.गांधी@यरवदा.इन’ संग्रह पंकज सुबीर का तीसरा संग्रह है और अपने पूर्व के दो संग्रहों की ही तरह इसमें भी पंकज सुबीर की कहानियों की विषय वैविध्यता दिखाई देती है। कई कई विषयों को समेटे हुए दस कहानियां हैं। इनमें विषयों में सांप्रदायिकता है, आतंकवाद है, बचपन की फैंटेसी है, मध्यमवर्गीय जीवन है, देह के समीकरण हैं और कुछ रहस्य की कहानियां भी हैं। मतलब यह कि दस कहानियों में लगभग दस अलग-अलग विषयों को समेटने की कोशिश की गई है।
एम्‍स और सुनंदा का पोस्‍टमार्टम करने वाले डॉक्‍टर में ठनी

एम्‍स और सुनंदा का पोस्‍टमार्टम करने वाले डॉक्‍टर में ठनी

सुनंदा पुष्‍कर की पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट को लेकर एम्‍स के निदेशक और फॉरेंसिक विभाग के डॉक्‍टरों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। एम्‍स ने दिल्‍ली हाईकोर्ट में हलफनामा देकर फॉरेंसिक विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. सुधीर कुमार गुप्‍ता को हटाने की अनुमति मांगी है। उधर, गुप्‍ता ने एम्‍स निदेशक पर पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट बदलवाने के आरोपों को दोहराते हुए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को पत्र लिखा है।
गहरे हैं रंग ' कैनवास पर प्रेम ' के

गहरे हैं रंग ' कैनवास पर प्रेम ' के

विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास 'कैनवास पर प्रेम ' के नाम ने आकर्षित किया था। नाम से कहानी का जो कुछ अंदाजा होता है वह ठीक-ठीक होते हुए भी उससे बहुत अलग भी है।
ठंडे बस्ते में गई फुकरे- 2

ठंडे बस्ते में गई फुकरे- 2

निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा इसी साल अपनी अगली हास्य फिल्म पर काम शुरू करेंगे और फिलहाल उन्होंने फुकरे के सीक्वल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
कविताओं में अभिव्यक्ति

कविताओं में अभिव्यक्ति

ऑल इंडिया रेडिओ और प्रसार भारती ने मिल कर दिल्ली के भारतीय विद्या भवन में 13 मई की शाम ‘अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन’ का आयोजन किया
किसानों को आज फिर टिकैत जैसे नेता की जरुरत

किसानों को आज फिर टिकैत जैसे नेता की जरुरत

चौ. टिकैत के आन्दोलन में न तो नेताओं की भरमार थी और न पदाधिकारियों की कतार। इस आन्दोलन में शामिल हर व्‍यक्ति सिर्फ किसान था। चौ. टिकैत जनता के बीच से आए थे और अाखिरी दम तक जनता के बीच रहे। यही सादगी और खरापन उनकी पहचान बन गया। उनकी मृत्यु के बाद किसान आन्दोलन में पैदा खालीपन की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है।
कहानी - भेड़िया

कहानी - भेड़िया

दिल्ली में जन्मी योगिता यादव का पहला कहानी संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ के आठवें नवलेखन पुरस्कार से सम्मनित किया गया और बाद में वहीं से प्रकाशित हुआ। कहानी झीनी झीनी रे चदरिया को अपने खास शिल्प के कारण आठवें अखिल भारतीय कलमकार कहानी प्रतियोगिता में दि्वतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्हें जम्मू कश्मीर के विशेष सांस्कृतिक अध्ययन के लिए संस्कृति मंत्रालय से जूनियर फैलोशिप मिल चुकी है। वह पिछले 13 सालों से पत्रकारिता में भी सक्रीय हैं। फिलवक्त दैनिक जागरण के जम्मू संस्करण में कार्यरत।
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