भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक ओर जहां रेपो रेट में कोई बदलाव न करके 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है, वहीं रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी कर दिया है। आरबीआई ने सीआरआर में भी कोई बदलाव न करके 4 फीसदी पर ही स्थिर रखा है।
अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना के बीच सोने में गिरावट जारी रही। दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना 250 रुपये टूटकर करीब दो महीने के निचले स्तर 28,650 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गया।
कंपनी कर की दर को घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा के दो साल बाद सरकार ने आज कहा कि इस तरह की कोई भी कटौती तभी हो सकती है जब व्यक्तिगत आयकर में अच्छी वृद्धि दर्ज होने लगेगी और ज्यादा से ज्यादा लोग आयकर देने लगेंगे।
नोटबंदी के बाद बैंकों की ब्याज दरों में कटौती के बावजूद उधारी कारोबार में ऐतिहासिक गिरावट आई है। 23 दिसंबर को बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ ऐतिहासिक निचले स्तर पर गिरकर 5.1 फीसदी पर आ गई है। एसबीआई के चीफ इकॉनमिस्ट सौम्य कांति घोष के मुताबिक क्रेडिट ग्रोथ का यह 60 साल का निचला स्तर है।
नए साल के पहले दिन रसोई गैस सिलेंडर से लेकर पेट्रोल, डीजल तक सभी कुछ महंगा हो गया। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने रविवार को पेट्रोल के दामों में 1.29 रुपये और डीजल के दामों में 97 पैसे प्रति लीटर का इजाफा कर दिया है।
देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में अक्तूबर में गिरावट रही। पूंजीगत सामान के उत्पादन में कमी तथा विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से अक्तूबर में औद्योगिक उत्पादन 1.9 प्रतिशत घटा है।
बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाए रखा। बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकती है ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके।
मौद्रिक नीति पर विचार के लिए छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक कल शुरू होगी। नोटबंदी के प्रभाव को कम करने के लिए नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की व्यापक उम्मीद के बीच यह बैठक हो रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल नोटबंदी की वजह से प्रभावित बैंकों को राहत के लिए बुधवार को मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर सकते हैं। ज्यादातर बैंकरों ने यह राय व्यक्त की है।