शनिवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर दुनिया भर के कई लेखकों ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को पत्र लिखा है। मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे पर भेजे गए पत्र में लेखकों ने राष्ट्रपति से इसे तत्काल रोकने की अपील की है।
पिछले दो साल में सीमा पर कार्रवाई और नक्सल विरोधी अभियान की तुलना में दिल का दौरा पड़ने और अन्य बीमारियों की वजह मरने वाले बीएसएफ कर्मियों की संख्या अधिक है।
अहम सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर आधारित फिल्म बनाने वाले निर्देशक प्रकाश झा का कहना है कि इस देश में पूरी तरह से राजनीतिक फिल्म बनाना असंभव है, क्योंकि यहां अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है।
देश के कई हिस्सों में नोटबंदी की आड़ में खाने-पीने की आवश्यक वस्तुओं को लेकर अफवाह का बाजार गर्म कर नाजायज फायदा उठाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। शुक्रवार की शाम को राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में नमक को लेकर अफवाह फैली जिसके बाद दुकानों से 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक नमक बेचे गए।
लेखक और नेता शशि थरूर ने कहा कि ब्रिटिश शासनकाल में भारत के लोगों पर जो भीषण अपराध किए गए, भारत को दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक बनाने वाले ब्रिटिशों द्वारा किसी भी तरह की क्षतिपूर्ति उसकी भरपायी नहीं कर सकती।
आजाद हिंद फौज के वयोवृद्ध सिपाही डैनियल काले का लंबी बीमारी के बाद कोल्हापुर में निधन हो गया। उनके बारे में कहा जाता है कि वे आजादी के संघर्ष के लिए गठित आजाद हिंद फौज के आखिरी जीवित सदस्य थे।
दिल्ली के उपहार सिनेमा हादसे के 59 पीड़ितों में से दो के माता-पिता ने इस सदमे तथा न्याय के लिए अपनी लंबी लड़ाई पर एक किताब लिखी है। ट्रायल बाय फायर का प्रकाशन पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया ने किया है।
अपने विवादित बयानों के लिए चर्चित रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडय काटजू ने गांधी जंयती पर महात्मा गांधी को लेकर वैचारिक हमला किया है। काटजू ने गांधी को फ्राड और पाखंडी बताया है। उन्होंने कहा है कि गांधी की वजह से देश को आजादी नहीं मिली है। फेसबुक पर काटजू ने पोस्ट में लिखा- कौन सही है- गांधी या भगत सिंह और सूर्य सेन? काटजू ने लिखा- जब 1938 में इंग्लैंड के प्रधानमंत्री नेविले चेम्बरलिन जर्मनी से म्यूनिख समझौता करके लौटे थे तो विपक्ष के नेता विस्टन चर्चिल ने कहा था कि आपके पास युद्ध या अपमान में से विकल्प चुनने का अधिकार है और आपने अपमान चुना।
भारत सरकार ने देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की मासिक पेंशन में करीब पांच हजार रूपये की वृद्धि की घोषणा की है। इस दायरे में अंडमान द्वीप में बनी सेल्युलर जेल में उस काल में कैद किए गए और ब्रिटिश शासन वाले भारत की सीमा से बाहर रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी भी शामिल हैं।