कनाडा में एक सिख व्यक्ति को एक नायक की तरह सराहा जा रहा है क्योंकि उसने सूझबूझ का परिचय देते हुए अपनी पगड़ी की मदद से नदी में डूब रही लड़की को बाहर निकाल लिया।
अलगाववादियों ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत कश्मीरी पंडितों से घाटी में उनकी वापसी पर चर्चा करने का फैसला किया है। आतंकवाद के चलते 26 साल से भी ज्यादा पहले घाटी छोड़ने को विवश हुए समुदाय को वापस लाने का अलगाववादियों का यह पहला गंभीर प्रयास है।
जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार बनने के बाद लोगों के बीच एक उम्मीद की नई किरण देखने को मिल रही है। इस सरकार से लोगों को काफी आशाएं हैं। आन्तरिक सुरक्षा को लेकर गठबंधन सरकार के सामने अनेक चुनौतियां खड़ी हैं जैसे सीमापार घुसपैठ, अलगाववादियों से निपटना और आतंकी हमलों को काबू करना प्रमुख हैं। जब तक इन चुनौतियों पर काबू नहीं पाया जाएगा तब तक कश्मीर घाटी के लोगों का जीवन स्तर नहीं सुधर सकता है।
राष्ट्रपति द्वारा हाल ही में संसद द्वारा पारित किए गए एक विधेयक को मंजूरी देने के साथ ही अब दाढ़ी और केश कटा चुके, धूम्रपान करने वाले या शराब पीने वाले लोग सिखों के धार्मिक निकायों के चुनाव में वोट नहीं डाल सकते।
पंजाब चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने अपना दांव खेल दिया है। सिख वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस ने रणनीति तैयार की है। जिसके तहत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगदीश टाइटलर 1984 सिख विरोधी दंगे में माफी मांगने को तैयार हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर के साथ एक सिख युवक द्वारा कथित दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि उक्त युवक ने टाइटलर के साथ गाली-गलौज और धक्का-मुक्की की।
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए स्तर की वार्ता से पहले पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादियों को बातचीत के लिए बुलाकर वार्ता को बड़ा झटका दिया है।
जम्मू एवं कश्मीर में शुक्रवार से शुरू हुई हिंसक झड़पें शनिवार को ईद के दिन भी जारी रहीं और अलगाववादियों ने कई जगह पाकिस्तान के झंडे लहराए। शनिवार को ईद की नमाज के बाद राज्य के अनंतनाग जिले और कई इलाकों में पथराव कर रहे युवकों तथा सुरक्षा बलों के बीच झड़प की घटनाएं हुईं। शहर के अंदरूनी इलाके में पाकिस्तानी झंडे लहराए जाने की खबरें हैं।
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ब्रिटेन में रहने वाले उस सिख अलगाववादी नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना चाहती थीं जिस पर इंदिरा गांधी की हत्या के लिए उकसाने का आरोप था। लेकिन राष्ट्रमंडल नागरिकों के बारे में ब्रिटेन के एक कानून के कारण वह उस सिख को प्रत्यर्पित करने के भारत के अनुरोध को पूरा नहीं कर पाईं थीं। गुरुवार को सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेजों में यह बात सामने आई है।
फ्लोरिडा स्थित वॉल्ट डिज्नी वलर्ड में काम करने वाले अमेरिकी मूल के जिस सिख अमेरिकी कर्मचारी को उसके धार्मिक प्रतीकों के चलते मेहमानों के सामने काम करने से सात साल तक रोककर रखा गया था, उसे एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है। अब कंपनी उसके साथ किए जाने वाले अलगाव को खत्म करने और उसके धार्मिक मतों को स्वीकार करने के लिए राजी हो गई है।