नेपाल में अर्से से लंबित संविधान क्या इस माह के अंत तक लागू हो पाएगा इसको लेकर नेपाल के सियासी गलियारे में चर्चाएं तेज हैं। क्योंकि संविधान लागू होते ही नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के साथ हुए समझौते के मुताबिक सीपीएन-यूएमएल के नेतृत्व में नई सरकार का गठन होगा और इसके नेता केपी ओली नेपाल के नए प्रधानमंत्री बनेंगे।
भारत ने इस्पात उत्पादन के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है और इस मामले में पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर आ गया है। केंद्रीय इस्पात व खान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
भारत-चीन मैत्री के प्रतीक माने जाने वाले डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनीस की 94 वर्षीय बहन मनोरमा कोटनीस का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। परिवारिक सूत्रों ने बताया कि कल रात उपनगरीय विले पार्ले इलाके में स्थित आवास पर मनोरमा कोटनीस ने अंतिम सांस ली।
दक्षिण चीन सागर पर अपने सभी़ पड़ोसियों, वियतनाम, फिलिपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के दावों को खारिज करने, समुद्र के इस हिस्से को अपनी मिल्कियत बताने और इन देशों को यहां से दूर रहने की चेतावनी जारी करने वाले चीन ने कहा है कि हिंद महासागर भारत का आंगन नहीं है। इसे भारत का बैकयार्ड समझने की धारणा परेशानी का सबब बन सकती है।
नेपाल के राजनीतिक दल नए संविधान को अंगीकार करने के मुहाने पर पहुंच गए हैं। नेपाल की संविधान मसौदा समिति ने एक बड़ी सफलता के तहत लंबे समय से लंबित संविधान के प्रथम मसौदे को मंजूरी दे दी है। इस संविधान के लागू हो जाने पर नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और विविध जातीय देश के रूप में पहली बार मान्यता मिलेगी।
दक्षिणी चीन सागर को विवादित क्षेत्र मानते हुए चीन ने वहां भारत के तेल उत्खनन का विरोध किया है लेकिन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के ऐतिहासिक विवाद की अनदेखी करते हुए वहां अपनी 46 अरब डॉलर की महत्वाकांक्षी आर्थिक परियोजना काे जायज ठहराया है। इसके पीछे उसका तर्क है कि यह ‘आजीविका परियोजना’ है जिसमें इतिहास से जुड़े मसलों को नहीं देखा जाना चाहिए।
चीन में हुबेई प्रांत में एशिया की सबसे लंबी नदी यांगत्सी में आए चक्रवात की चपेट में आने के बाद 450 से ज्यादा लोगों को लेकर जा रहे एक जहाज के डूबने से कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लापता हैं। उनकी तलाश के लिए बचावकर्ताओं को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
25 अप्रैल को नेपाल में आए भूकंप से व्यापक तबाही हुई है। इससे नेपाल में महात्रासदी की स्थिति पैदा हो गई है। भूकंप के एक माह से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद लगातार कंपन जारी है। बारह अप्रैल को 7.3 रेक्टर की तीव्रता ने स्थिति को जटिल बनाने के साथ ही लोगों का सामान्य जीवन तबाह कर दिया है। भारी संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे राते गुजारने के लिए बाध्य हैं। पीड़ितों के पास अब तक पर्याप्त राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है। दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थिति और भी भयावह है। सरकारी मदद अब तक इन स्थानों तक नहीं पहुंची है। राज्य सरकारों की अनुपस्थिति ने शासकीय शून्यता को जन्म दिया है। वर्षों से वहां पर नौकरशाहों का राज है। स्थानीय स्तर पर निर्वाचित और उत्तरदायी शासन के अभाव ने राहत कार्यों में गंभीर स्थिति को जन्म दिया है।