मुजफ्फरनगर के दंगों की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म शोरगुल देश के अलग-अलग हिस्सों में दिखाई जा रही है लेकिन मेरठ और मुजफ्फरनगर के लोग यह फिल्म नहीं देख पा रहे हैं।
फिल्म उड़ता पंजाब की रिलीज का मामला काफी गरमा गया है। फिल्मकार अनुराग कश्यप ने कहा है कि फिल्मों को रिजेक्ट करने का हक जनता को होना चाहिए। एक अधिकारी को यह हक नहीं दिया जा सकता। कश्यप ने साफ कहा कि पहलाज निहलानी का व्यवहार निर्माताओं पर भारी पड़ रहा है। अनुराग ने कहा कि पिछले दो साल में जितनी फिल्मेंं ट्राइबुनल में गई, उतनी पहले नहीं गईं। उन्होंने कहा कि जानबूझकर फिल्म रिलीज में बाधा खड़ी की जाती है। इसी बीच पहलाज निहलानी ने कश्यप पर आप से पैसे लेने का आरोप लगाया है।
भाजपा समाज के सभी वर्गों का समर्थन हासिल करने के लिए तरह तरह के जुगत लगा रही है। उसे लगता है कि सवर्ण उसके साथ हैं। लिहाजा वह पिछड़ी जाति पर अब डोरे डाल रही है। उज्जैन में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने दलित साधुओं के साथ कुंभ स्नान किया और संतों के साथ भोजन किया।
हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा पर गठित की गई कमेटी के अध्यक्ष बीएसएफ के पूर्व डायरेक्टर जनरल प्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में दंगा रोकने में नाकाम राज्य प्रशासन के करीब 80 अधिकारियों का नाम शामिल किया है। इनमें पांच आईएएस तथा पांच आईपीएस अधिकारी भी हैं। सेना की मौजूदगी को गंभीरता से लेते हुए कमेटी ने कहा कि पाकिस्तान के साथ एक छोटे युद़ध में जितनी सेना लगार्इ्र जा सकती है, उतने जवान हरियाणा में उतार दिए गए थे।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी ने कहा कि आने वाली हॉलीवुड की फिल्म द एंग्री बर्डस को यूए प्रमाण पत्र दिया गया है जो उसके विषय को देखते हुए ठीक है।
गाय माता ने कभी नहीं सोचा होगा कि उनके दिन कभी बहुरेंगे। बहुरेंगे भी तो ऐसे कि जीते जी उन्हें कुछ भी हो जाए पर मर जाने के बाद उनके चमड़े और मांस पर सियासत होगी। गोमांस फिलफक्त का सबसे बड़ा मुद्दा है।
कैथोलिक चर्च ने अमेरिकी नाटक लेखिका जान पलमायर द्वारा लिखित नाटक एग्नेस ऑफ गॉड पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यह नाटक एक नन द्वारा मृत बच्चे को जन्म देने पर आधारित है।
झारखंड सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की फिल्म मैसेंजर ऑफ गॉड (एमएसजी-2) को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया। फिल्म को कथित तौर पर आदिवासियों के संबंध में की गई विवादित टिप्पणियों के चलते प्रतिबंधित किया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने उम्र कैद की सजा पाए कैदियों की सजा माफ कर उन्हें रिहा करने के अधिकार के इस्तेमाल की राज्य सरकारों को इस शर्त के साथ अनुमति प्रदान कर दी कि यह उन मामलों में लागू नहीं होगा जिनकी जांच सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने की है और जिन्हें टाडा जैसे केंद्रीय कानून के तहत सजा मिली है।