भारत की आजादी का विभाजन त्रासदी का महाकाव्य है। इस पर अनगिनत फिल्में बनाई जा सकती हैं। इस फिल्म के इतने आयाम हैं कि विश्व का हर फिल्मकार भी उस त्रासदी पर फिल्म बनाए तो भी कहानी पूरी न हो।
'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
फिदेल कास्त्रो ने 1983 के गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में इंदिरा गांधी से गले मिलकर उनका अभिवादन किया था जो उनके भारत के साथ प्रगाढ़ संबंधों को प्रदर्शित करता था। भारत इस विख्यात जूझारू नेता को सदैव अपने एक बड़े मित्र के रूप में देखता रहा है।
छत्तीसगढ़ में सोशल मीडिया पर भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर टिप्पणी करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को जिले से हटाकर मंत्रालय भेज दिया गया है। अधिकारी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा रहा है।
भाजपा की विचारधारा पर अमिट छाप छोड़ने वाले अमर विचारक दीनदयाल उपाध्याय ने 1961 में ही पाकिस्तान की नीयत को भांप लिया था। उन्होंने उस समय कहा था कि अधिक जमीन और पानी की पाकिस्तान की मांगों को स्वीकार कर भारत रणनीतिक तौर पर युद्ध हार रहा है। इससे भविष्य में दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत के सीमावर्ती इलाकों में ऐसे लोग नहीं होने चाहिए जिनकी 'ईमानदारी पर शक हो' और 'भारत की सीमा के कम से कम 15 मील के क्षेत्र में ऐसे लोग होने चाहिए जिन पर भरोसा किया जा सके।'
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को गरीबों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध बताते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मथुरा में आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे की सपा सरकार राज्य को विकास के रास्ते पर नहीं ले जा सकती। उन्होंने भाजपा को मौका देने की अपील करते हुए पूछा कि प्रदेश की जनता कब तक बसपा के भ्रष्टाचारी शासन और सपा के गुंडाराज को झेलती रहेगी।