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बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूकेंगे मोदी

बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूकेंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन शनिवार से बिहार को चुनावी मोड में लाने के लिए तैयार हैं। यूं तो उनके विरोधी जनता परिवार ने पहले ही पूरे राज्य में चुनावी सरगर्मी शुरू कर दी है मगर भारतीय जनता पार्टी इसके लिए अपने स्टार नरेंद्र मोदी की प्रतीक्षा कर रही थी और यह प्रतीक्षा कल खत्म हो जाएगी जब मोदी लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार न सिर्फ बिहार जनसभा को संबोधित करेंगे बल्कि राज्य को केंद्र से कई सौगातों की घोषणा भी करेंगे।
आतंकी कनेक्‍शन बता निकाले गए साबिर फिर भाजपा में

आतंकी कनेक्‍शन बता निकाले गए साबिर फिर भाजपा में

लोकसभा चुनाव से पहले बड़े जोर-शोर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल किए गए साबिर अली को तब भले ही आतंकी कनेक्‍शन वाला बताकर पार्टी से बाहर कर दिया गया हो मगर अब बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें एक बार फिर से पार्टी में शामिल कर लिया गया है।
पलटवारः भाजपा लाई उत्तराखंड सीएम के पीए का स्टिंग

पलटवारः भाजपा लाई उत्तराखंड सीएम के पीए का स्टिंग

संसद में सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग कर रही कांग्रेस को दबाव में लाने के लिए भाजपा ने भी चौतरफा प्रयास शुरू कर दिया है। इसी प्रयास के तहत भाजपा अब कांग्रेस के राज्य क्षत्रपों की घेराबंदी करने में जुट गई है। ताजा कड़ी में घेरे में आ गए हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत जिनके निजी सचिव शराब के ठेके का लाइसेंस बांटते एक स्टिंग में कैद हो गए हैं। मंगलवार को इस स्टिंग की सीडी को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया के सामने पेश किया और आरोप लगाया कि खुद रावत इस भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। सीडी के सामने आने के बाद निजी सचिव को पद से हटा दिया गया।
लालू से कभी दिल का रिश्ता नहीं रहा: पासवान

लालू से कभी दिल का रिश्ता नहीं रहा: पासवान

संप्रग एक की सरकार में लालू प्रसाद के साथ केंद्रीय मंत्री रहे और वर्ष 2009 का लोकसभा और 2010 का विधानसभा चुनाव उनके साथ मिलकर लड़ने वाले बिहार के वरिष्ठ दलित नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि लालू के साथ रहने के जमाने में भी कभी दोनों के दिल नहीं मिले।
भाजपा के रथ के सामने टमटम उतारेंगे लालू

भाजपा के रथ के सामने टमटम उतारेंगे लालू

राजद टमटम (तांगा) के जरिये भाजपा के परिवर्तन रथ का मुकाबला करेगा, जिसे विधानसभा चुनाव से पहले राजग की नीतियों के बारे में जनता को अवगत करने के लिए बिहार में निकाला जा रहा है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी 1000 टमटमों के साथ 160 परिवर्तन रथों का मुकाबला करेगी।
डायपर बेबी हैं राहुल गांधी : भाजपा

डायपर बेबी हैं राहुल गांधी : भाजपा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राहुल गांधी के हमले के कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष अब भी डायपर बेबी हैं। राहुल ने भूमि विधेयक और ललित मोदी विवाद सहित कई मुद्दों पर केंद्र और राजस्थान सरकारों को निशाना बनाया तो भाजपा सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी तुरंत ही प्रेस ब्रीफिंग कर राहुल पर पलटवार किया।
मोदी के सीने को 5.6 इंच का कर देंगेः राहुल

मोदी के सीने को 5.6 इंच का कर देंगेः राहुल

भूमि विधेयक को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला तेज करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जयपुर में शुक्रवार को कहा कि यदि भूमि विधेयक मानसून सत्र के दौरान संसद में आता है तो उनकी पार्टी इसे पारित नहीं होने देगी। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर चुटकी लेते हुए कहा कि किसान छह महीने में उनके 56 इंच के सीने को 5.6 इंच के सीने में बदल कर रख देंगे और एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ेंगे।
भूकंप ने बदल दी सियासत

भूकंप ने बदल दी सियासत

काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या‍ स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
भूमि विधेयक पर नीति आयोग राजनीति की काली छाया

भूमि विधेयक पर नीति आयोग राजनीति की काली छाया

मानसून पूर्व नीति आयोग की राजनीति से लोकसभा के मानूसन सत्र और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर घनघोर काली घटाएं मंडराने लगी हैं। मतलब लोकसभा में गर्जन-तर्जन होगा, बिजली कड़केगी, विपक्ष की बौछार तेज पड़ेे और संसद बाधित होती। 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है और इस सत्र से पहले नीति आयोग की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
शिवसेना: एक कागजी शेर के 50 साल!

शिवसेना: एक कागजी शेर के 50 साल!

1985 तक शिवसेना केवल मुंबई तक ही सीमित थी। महाराष्ट्र में इसके प्रसार का श्रेय छगन भुजबल को जाता है। शरद पवार 1986 में अपने कांग्रेस विरोधी समूह को सकते में छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस वजह से बने खाली स्थान को शिवसेना ने भरा। आज भी मुंबई की शिवसेना और बाकी महाराष्ट्र की शिवसेना में अंतर है।
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