सरकार की इस सप्ताह संसद में जीएसटी विधेयक आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने सोमवार को कहा कि उन्हें विधेयक पारित हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत बड़े सुधारों के मामले में सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने साफ कहा है कि उनकी पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों की होड़ में नहीं है। उन्होंने ‘आप’ सदस्यों को चुनाव के पीछे नहीं भागने की सलाह देने के बावजूद यह कहा कि पंजाब के अगले चुनावों में पार्टी को दिल्ली जैसा मौका मिल सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र द्वारा बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में कांग्रेसशासित किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री भी बैठक में नहीं पहुंची। कांग्रेसशासित राज्यों के मुख्यमंत्री ने बैठक में न आने के बारे में कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर चर्चा होनी है इसलिए बैठक में नहीं जा रहे हैं।
मानसून पूर्व नीति आयोग की राजनीति से लोकसभा के मानूसन सत्र और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर घनघोर काली घटाएं मंडराने लगी हैं। मतलब लोकसभा में गर्जन-तर्जन होगा, बिजली कड़केगी, विपक्ष की बौछार तेज पड़ेे और संसद बाधित होती। 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है और इस सत्र से पहले नीति आयोग की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का फैसला किया है जबकि आयोग के दो अन्य सदस्यों विवेक देबराय और वी. के.सारस्वत को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।
सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे पर लगे आरोपों के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने याद दिलाया कि जब उन पर हवाला कांड के आरोप लगे थे तो उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया था। वाजपेयी ने उन्हें मना भी किया था लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।
दालों की बढ़ती महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार ने दालों के आयात का फैसला किया है जबकि चीनी मिलों को 6 हजार करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाएगा। इससे पहले भी केंद्र और राज्य सरकारें चीनी मिलों को कई राहत पैकेज दे चुकी हैं। इसके बावजूद गन्ना किसानों को करीब 21 हजार करोड़ रुपये का भुगतान चीनी मिलों के पास अटका हुआ है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिले गाजीपुर में स्वास्थ्य सेवाओं का इतना बुरा हाल है कि यहां के अस्पतालों को ही इलाज की जरुरत महसूस होने लगी है। डाॅक्टर और दवा दोनों ही जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की समस्या है।