आजकल सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर एक चलन चल पड़ा है कि आप किसी भी विवादास्पद मुद्दे पर लिखोगे तो खूब लाइक्स मिलेंगे। लेकिन एक शोध के मुताबिक फेसबुक पोस्ट पर लाइक्स मिलने से लोग ना तो अपने बारे में बेहतर महसूस करते हैं ना ही उनके मूड में सुधार आता है।
मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के नर्मदा घाटी स्थित मेहता खेड़ी में उत्खनन में पुरातात्विक उत्खनन से बेशकीमती 50 हजार वर्ष प्राचीन 350 दुर्लभ पुरावशेष मिले हैं।
आमतौर पर लोग सेल्फी लेना और उसे साझा करना पसंद करते हैं लेकिन एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोई और उन्हें सोशल मीडिया में डाले यह बात उन्हें रास नहीं आती है।
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लाइक करना और स्टेटस डालना आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अधिक हानिकारक साबित हो सकता है। यह जानकारी एक नये अध्ययन में सामने आयी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने प्रतिबंधित इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के संस्थापक जाकिर नाइक एवं अन्य के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया है। मामले में कार्रवाई करते हुए जांच एजेंसी ने मुंबई में आईआरएफ के 10 ठिकानों पर छापेमारी कर तलाशी ली।
विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के प्रतिबंधित संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों के भविष्य पर महाराष्ट्र सरकार विधि एवं न्यापालिका विभाग से विचार-विमर्श करेगी।
आने वाले समय में इंटरनेट के सर्च इंजन लोगों की जान बचाने में भी मदद कर सकते हैंं क्योंकि वैैज्ञानिक एक एेसा तरीका विकसित कर रहे हैं, जिससे उन प्रयोगकर्ताओं की पहचान प्रभावी ढंग से की जा सकती है, जिनके द्वारा आत्महत्या कर लिए जाने का खतरा है। इन सर्च इंजनों के जरिए उन्हें यह जानकारी दी जाएगी कि उन्हें कहां से मदद मिल सकती है।
स्वचालन :आॅटोमेशन: के बढ़ते उपयोग से बड़े पैमाने पर रोजगार जा सकते हैं। विश्वबैंक की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार इससे भारत में 69 प्रतिशत और चीन में 77 प्रतिशत रोजगार को खतरा है। इसमें कहा गया है कि विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी परंपरागत आर्थिक रास्ते के प्रतिरूप को बुनियादी रूप से बाधित कर सकती हैं।
इस्लामिक गुरु डॉ. जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की तरफ से राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये दिए जाने को मुस्लिम विद्वानों ने अनुचित करार दिया है। नई दिल्ली के सूफी पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना डॉ. हफीज़ुर्रहमान मिसबाही ने कहा कि अगर नाइक ने जकात (दान) की राशि दी, तो उन्होंने लाभार्थी मुसलमानों और जकात अदा दोनों के साथ धोखा किया है। जकात की यह राशि वास्तव में डॉ. नाइक ने गरीब मुसलमानों और विधवाओं तक पहुंचाने के लिए प्राप्त की होगी। जकात की मंशा के खिलाफ इस राशि का इस्तेमाल सही नहीं है।