तीन साल पूरे होने का जश्न मना रही मोदी सरकार के रिपोर्ट कार्ड पर बेरोजगारी ने बड़ा दाग लगा दिया है। देश में नए रोजगार पैदा होने की दर आठ साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। आठ प्रमुख औद्याेेगिक क्षेत्रों में नौकरियों का बुरा हाल है, जिनमें पिछले साल केवल 1.1 फीसदी नौकरियां बढ़ी हैैं।
इस बार मजदूर दिवस पर झारखंड के श्रमिक ज्यादा नाराज दिखे। मनरेगा के तहत मिलने वाली राशि में मामूली बढ़ोत्तरी के विरोध में श्रमिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में मजदूरों ने पीएम मोदी को एक रूपए वापस करने की बात कही है।
विमुद्रीकरण के बाद ओडिशा में धान फसल की कटाई के साथ ही पुराने दिनों की श्रम अदलाबदली की परंपरा बदलिया भी फिर से शुरू हो गयी है। बदलिया एक-दूसरे के खेतों में मजदूरी के बदले मजदूरी करने की परंपरा है, जिससे ओडिशा के तटीय जिलों के कुछ हिस्सों में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी नोटबंदी का कदम उठाकर इसे देश केे हित में बता रहे हैं पर इस कड़वी दवा का असर पड़ने लगा है। ग्रामीण इलाकों में दैनिक मजदूरी पर आधारित योजना मनरेगा को भी नोटबंदी ने जमकर प्रभावित किया है। रोजगार की गारंटी देने वाली इस स्कीम में पिछले महीने के मुकाबले नवंबर में 23 प्रतिशत रोजगार घटा है।
नोटबंदी से औदयोगिक शहर कानपुर की जीवन रेखा माना जाने वाला चमड़ा उदयोग काफी प्रभावित हुआ है। टेनरी मालिकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है एक तो वह नकदी न होने से कच्चा माल किसानों और गांव वालों से नही खरीद पा रहे हैं, दूसरी ओर वह चमड़ा उत्पादों को तैयार नही कर पा रहे हैं, जिस कारण उनके लाखों रूपये के देशी विदेशी आर्डर अटक गये हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी लाकर देशभर में भ्रष्टाचार मिटाने की जो कोशिश की है उसमें अब पलीता लगने की आशंका व्यक्त की जा रही है। जगह जगह बैंकों में लगी लाइनें और एटीएम में नकदी का अभाव लोगाें को परेशान कर रहा है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में तो हाल और बुरा है।
पीएम नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के बाद माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री को सबसे गहरा धक्का पहुंचा है। देश के गांवों और कस्बों को वित्तीय समावेशी बनाने में माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री अहम भूमिका निभाती है। माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की कर्ज वसूली और कर्ज वितरण की रफ्तार लगभग रुक गई है। कर्ज वसूली में 30 फीसदी और वितरण में 70 फीसदी की गिरावट आई है।