गुलाम अली के संगीत समारोह को जबरन रद्द कराए जाने के मुद्दे पर राजनीतिक एवं सांस्कृतिक जगत के निशाने पर आई शिवसेना ने कहा है कि सैनिक शहीद हो रहे हों और यहां आनंद उठाया जाता रहे यह नहीं होगा।
1985 तक शिवसेना केवल मुंबई तक ही सीमित थी। महाराष्ट्र में इसके प्रसार का श्रेय छगन भुजबल को जाता है। शरद पवार 1986 में अपने कांग्रेस विरोधी समूह को सकते में छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस वजह से बने खाली स्थान को शिवसेना ने भरा। आज भी मुंबई की शिवसेना और बाकी महाराष्ट्र की शिवसेना में अंतर है।