प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार को पदमुक्त किए जाने की ख्रबरें हैं। कहा जा रहा है कि प्रसार भारती के अन्य ऑफिसरों के साथ पटरी न बैठने और कई विवाद के बाद वेंकैया नायडु ने यह कदम आखिरकार उठा ही लिया। जो काम अरुण जेटली ने नहीं किया वह वेंकैया ने तेजी दिखाते हुए कर दिया।
वेस्टइंडीज के तेज आक्रमण को अपने बेहतरीन डिफेंस से प्रभावहीन करने के लिये मशहूर भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर की एक कमजोरी थी और वह थे पारले जी ग्लूकोज बिस्कुट।
उड़ता पंजाब को लेकर इतना हाइप बन गया था कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है जो संस्कारी बोर्ड इसे देश को देखने के लिए मना कर रहा है। अगर सेंसर बोर्ड इतना बवाल न मचाता तो यह बिलकुल साधारण फिल्म बनती।
भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान एस. वी. सुनील ने कहा कि उनकी टीम ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ चैंपियंस ट्राफी लीग मैच को क्वार्टर फाइनल समझा और आक्रामक हॉकी खेली। सुनील ने कहा, हम मैच जीतने के इरादे से ही उतरे थे और लक्ष्य हासिल करने की खुशी है। लंदन में मंगलवार को भारत ने दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराकर टूर्नामेंट में अपनी दूसरी जीत दर्ज की।
फिल्म उड़ता पंजाब की रिलीज का मामला काफी गरमा गया है। फिल्मकार अनुराग कश्यप ने कहा है कि फिल्मों को रिजेक्ट करने का हक जनता को होना चाहिए। एक अधिकारी को यह हक नहीं दिया जा सकता। कश्यप ने साफ कहा कि पहलाज निहलानी का व्यवहार निर्माताओं पर भारी पड़ रहा है। अनुराग ने कहा कि पिछले दो साल में जितनी फिल्मेंं ट्राइबुनल में गई, उतनी पहले नहीं गईं। उन्होंने कहा कि जानबूझकर फिल्म रिलीज में बाधा खड़ी की जाती है। इसी बीच पहलाज निहलानी ने कश्यप पर आप से पैसे लेने का आरोप लगाया है।
भारत रत्न लता मंगेशकर और रिकार्ड धारी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का मजाक उड़ाने पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने एआईबी कॉमेडियन तन्मय भट्ट के खिलाफ पुलिस में शिकायत की है। जिसकी जांच की जा रही है। इधर अनुपम खेर और रितेश देशमुख जैसे कई कलाकारों ने इस तरह के मजाक की कड़ी आलोचना की है।
बिहार के गया जिले में स्थानीय नेता की हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रही उग्र भीड़ ने वहां से गुजर रहे पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के काफिले पर हमला कर दिया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। भीड़ के हमले में मांझी के घायल होने की खबर है। हालांकि स्थानीय पुलिस ने इस बात से इनकार किया है।
छात्र राजनीति का इतिहास बहुत पुराना है। राष्ट्र के नव-निर्माण से लेकर आज तक यह जारी है। हाल में भारत के विश्वविद्यालयों से एक आंधी उठी है जो हो सकता है देश की राजनीति के लिए बवंडर साबित हो