संत मदर टेरेसा की मशहूर नीले बार्डर वाली साड़ी को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की 'इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी' के तौर पर मान्यता दी गई है। चैरिटी का मानना है कि दुनियाभर में इस डिजाइन के गलत और अनुचित इस्तेमाल को देखकर इस व्यापार चिह्न को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने की कोशिश के तहत यह कदम उठाया गया है।
पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत घोषित करते हुए उन्हें ममता की मूरत और दीन दुखियों का प्रबल हिमायती बताया। पोप ने कहा कि भले ही हमें उन्हें संत टेरेसा कहने में कुछ मुश्किल रही हो, लेकिन उनकी पवित्रता हमारे इतने करीब, इतनी करूणामय और सार्थक है कि हम स्वभाविक रूप से उन्हें मदर कहना जारी रखेंगे।
रोम के वेटिकन सिटी में चार सितंबर को मदर टेरेसा को संत घोषित किया जाएगा। इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी भेजा जा रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल रोम जा रहा है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा नामित मारग्रेट अल्वा और लोजिन्हो फेलेरियो समेत चर्च के कई प्रतिनिधि जा रहे हैं।
मारग्रेट थैचर के बाद ब्रिटेन को दूसरी महिला प्रधानमंत्री मिलना तय हो गया है। थैैचर का कार्यकाल पूरा होने के करीब ढाई दशक बाद ब्रिटेन को दूसरी महिला प्रधानमंत्री मिलेंगी। ब्रेग्जिट मतविभाजन के बाद डेविड कैमरन के उत्तराधिकारी पद की दौड़ में मुख्य मुकाबला गृह मंत्री टेरेसा मे और उर्जा मंत्री आंद्रिया लीडसम के बीच तय माना जा रहा है।
अपने बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। आदित्यनाथ ने इस बार मदर टेरेसा को लेकर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा है कि टेरेसा जैसे लोगों ने भारत के ईसाईकरण की कोशिश की।
मदर टेरेसा को इस वर्ष के ब्रिटेन के प्रतिष्ठित फाउंडर्स अवॉर्ड से मरणोपरांत सम्मानित किया गया है। यह सम्मान वैश्विक एशियाई समुदाय के लोगों को उनकी अनुकरणीय उपलब्धियों को मान्यता देता है और उन्हें पुरस्कृत करता है।
नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा के बाद मिशनरीज आफ चैरिटी का काम-काज संभालने वाली सिस्टर निर्मला जोशी का पूरा जीवन गरीबों और समाज के पिछड़े तबके के लोगों के उत्थान के प्रति ही समर्पित रहा। प्रचार और सुर्खियों से कोसों दूर रहने वाली सिस्टर निर्मला में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सच के साथ खड़े रहने का साहस था। उन्होंने कभी किसी गलत आरोप या अफवाह के सामने सिर नहीं झुकाया। बातचीत में तो इतनी विनम्र कि एकबार उनसे मुलाकात करने वाला उनका मुरीद बन जाता था।