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पाटीदार नेता निखिल सवानी ने 15 दिन में छोड़ी पार्टी, कहा- 'भाजपा सिर्फ लॉलीपॉप देती है'

पाटीदार नेता निखिल सवानी ने 15 दिन में छोड़ी पार्टी, कहा- 'भाजपा सिर्फ लॉलीपॉप देती है'

गुजरात की राजनीति में नाटकीय घटनाक्रमों की बाढ़ सी आ गई है। अब 15 दिन पहले भाजपा में शामिल हुए हार्दिक के...
आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे को 19 साल पुराने मामले में 4 माह की सजा

आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे को 19 साल पुराने मामले में 4 माह की सजा

राजस्थान में अजमेर जिले की किशनगढ़ की मुंसिफ अदालत ने 19 साल पुराने एक मामले में सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे को 4 माह के कारावास की सजा सुनाई है।
पीएम मोदी का सूट खरीदने वाले कारोबारी ने कहा, नहीं जमा कराए 6000 करोड़

पीएम मोदी का सूट खरीदने वाले कारोबारी ने कहा, नहीं जमा कराए 6000 करोड़

सूरत के हीरा कारोबारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सूट खरीदने वाले लालजी पटेल ने उन खबरों का खंडन किया जिनमें कहा जा रहा हैं कि उन्होंने 6000 करोड़ रुपये बैंक में जमा करवाएं हैं। लालजी पटेल ने कहा कि उन्होंने कोई 6000 करोड़ रुपए बैंक में जमा नहीं कराए हैं। इस मामले में खुद लालजी पटेल मीडिया के सामने आए और कहा कि उन्होंने जुर्माने के साथ कोई रकम जमा नहीं करवाई है।
ब्रिक्स बैंक का मुख्यालय शंघाई में होगा

ब्रिक्स बैंक का मुख्यालय शंघाई में होगा

भारत और ब्रिक्स समूह के अन्य देशों द्वारा स्थापित किए गए नव विकास बैंक (एनडीबी) ने शनिवार को शंघाई में चीन सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत इस बैंक मुख्यालय शंघाई में रखा जाएगा। इस तरह इस इस बैंक को एक कानूनी पता मिल गया है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की जानी-मानी हस्ती केवी कामत एनडीबी के पहले प्रमुख बनाए गए हैं।
कट्टी-बट्टी - कट्टी ही रहेगी दर्शकों से

कट्टी-बट्टी - कट्टी ही रहेगी दर्शकों से

बॉलीवुड में पहली नजर के प्यार पर बनी फिल्मों की कोई कमी नहीं है। मैडी यानी माधव काबरा (इमरान खान) को पायल (कंगना रणौत) से पहली नजर का प्यार है। बिलकुल इंस्टेंट। मैगी वाला। यहां देखा, वहां प्यार। दिवाने माधव को यह भी मंजूर है कि पायल टाइमपास प्यार करेगी। ठीक है भई। नया जमाना है तो चल जाएगा।
मसान – एक दर्द की दो दास्तां

मसान – एक दर्द की दो दास्तां

मसान यानी श्मशान के इर्द-गिर्द भी प्रेम पनपता है। जलती चिता से उठती चिंगारियां दिल की कोमलता को नहीं झुलसा पातीं। नीरज घायवन ने कम संसाधनों में एक बढ़िया फिल्म रच दी है। दो कहानियां अतंतः एक ही मंजिल को पहुंचती हैं, त्रासदी।
शिवसेना: एक कागजी शेर के 50 साल!

शिवसेना: एक कागजी शेर के 50 साल!

1985 तक शिवसेना केवल मुंबई तक ही सीमित थी। महाराष्ट्र में इसके प्रसार का श्रेय छगन भुजबल को जाता है। शरद पवार 1986 में अपने कांग्रेस विरोधी समूह को सकते में छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस वजह से बने खाली स्थान को शिवसेना ने भरा। आज भी मुंबई की शिवसेना और बाकी महाराष्ट्र की शिवसेना में अंतर है।
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