प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर कहा कि सभी समस्या का समाधान विकास से संभव है और जहां भी मौका मिला है वहां विकास के पथ पर आगे बढ़ने का प्रयास किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने आज कहा कि उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी का पारिवारिक कलह वंशवाद की राजनीति का परिणाम है और भाजपा की इस पर टिप्पणी करने में कोई रूचि नहीं है। वेंकैया नायडू ने सीआईआई के एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, मुझे कोई टिप्पणी नहीं करनी है। यह आंतरिक समस्या है। जैसा कि मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि लोकतंत्र में वंशवाद घातक होता है लेकिन कुछ लोगों के लिए रूचिकर भी होता है। हम इसका परिणाम भी देख रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी चुनाव से पहले मुस्लिम समुदाय को पार्टी की तरफ आकर्षित करने के लिए प्रगतिशील पंचायत के आयोजन का फैसला किया है। जिसमें मुस्लिमों के उत्थान और उन्हें विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। मोदी सरकार 'प्रगतिशील पंचायत' के नाम से देशभर में आयोजन करने के साथ साथ मुस्लिमों की समस्या का समाधान तुरंत ढूंढने की कोशिश भी करेगी।
बीफ यानी गाय के मांंस पर प्रतिबंध और चमड़े के परिवहन में आ रही दिक्कत के बाद क्रिकेट की गेंद के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हो गई है। जो गेंद एक साल पहले 400 रुपए की मिलती थी वहीं अब 800 रुपए की मिल रही है। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बीफ पर बैन है। इसके अलावा गाय के चमड़ेे का परिवहन करने में अब ट्रांसपोर्टर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस वजह से गाय के चमड़े की किल्लत हो गई है। गाय के चमड़े से क्रिकेट की लाल गेंद बनाई जाती है। एक गाय के चमड़े से करीब तीन दर्जन गेंद तैयार की जा सकती हैं।
असम में भाजपा की नवनिर्वाचित सोनोवाल सरकार के एक मंत्री के ऊपर गंभीर आपराधिक मामला दर्ज होने का मामला सामने आया है। बुधवार को नेशनल इलेक्शन वाच और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने चुनाव के दौरान मंत्रियों की ओर से दिए हलफनामे के अध्ययन के आधार पर यह जानकारी दी है।
कुपोषण एक ऐसी बीमारी जो कि बच्चों के विकास में बाधक ही नहीं बल्कि समाज के लिए चिंता का विषय है। कुपोषण से मुक्ति की सरकार लाख कोशिशें कर ले लेकिन इससे मुक्ति एक सपना बन गया है। राष्ट्रीय प्रतिष्ठान और सेव द चिल्ड्रेन के लिए किए जा रहे शोध के दौरान पाया गया कि सरकारी आंकड़े कुपोषण को लेकर कुछ और स्थिति बताते हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और होती है।