दिल चाहता है फिल्म के निर्देशक और संगीतमय रॉक ऑन और मिल्खा सिंह पर बनी फिल्म के जरिये फरहान अख्तर फिल्म की दुनिया का जाना पहचाना चेहरा बन चुके हैं। अब से हटकर उनकी इच्छा एक काल्पनिक टीवी शो बनाने की है।
साहिर लुधियानवी के हिन्दी गीत के संकलन का संपादन। साहिर लुधियानवी : मेरे गीत तुम्हारे हैं नाम से एक और पुस्तक प्रकाशनाधीन। सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां और गजलें प्रकाशित। साहित्य से इतर पर्यावरण पर भी लेखन। पिछले चार वर्षों से साहिर लुधियानवी के गीतों का डॉक्युमेंटेशन और ब्लॉग लेखन। गढ़वाली भाषा और संस्कृति पर सक्रिय संस्था ‘धाद’ से संबद्ध।
उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका इस्मत चुगताई का जन्म 15 अगस्त 1915 को बदायूं, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह इस्मत आपा के नाम से मशहूर हुईं। उनके लेखन के साथ कई विवाद भी जुड़े रहे। वह बहुत विद्रोही लेखिका थीं और उन्होंने महिलाओं के बारे में खूब लिखा और उनके हक में सवाल उठाए। उनकी कहानियों में लड़कियों की मनोदशा और सच्चाई खूब अच्छी तरह से बयान हुए। उनकी कहानी लिहाफ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में उन पर अश्लीलता का मुकदमा चलाया था, जो बाद में खारिज हो गया। 24 अक्टूबर 1991 को उनका निधन हुआ। सन 2015 में हम उनकी जन्मशताब्दी मना रहे हैं। उनकी मशहूर कहानी लिहाफ पाठकों के लिए।
2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।
18 मई को हजारीबाग (बिहार) में जन्म। हिंदी में स्वर्ण पदक के साथ गोवा विश्वविद्यालय से एम ए। अनकही, तुम्हें छू लूं जरा, खारा पानी, कायान्तर (कहानी संग्रह)। औरत जो नदी है, साथ चलते हुए और इकबाल (उपन्यास)। तम्हारे लिए (कविता संग्रह)। आकाशवाणी से रचनाओं का नियमित प्रसारण। कहानियों के लिए युवाकथा सम्मान (सोनभद्र) 2012
‘कसाब.गांधी@यरवदा.इन’ संग्रह पंकज सुबीर का तीसरा संग्रह है और अपने पूर्व के दो संग्रहों की ही तरह इसमें भी पंकज सुबीर की कहानियों की विषय वैविध्यता दिखाई देती है। कई कई विषयों को समेटे हुए दस कहानियां हैं। इनमें विषयों में सांप्रदायिकता है, आतंकवाद है, बचपन की फैंटेसी है, मध्यमवर्गीय जीवन है, देह के समीकरण हैं और कुछ रहस्य की कहानियां भी हैं। मतलब यह कि दस कहानियों में लगभग दस अलग-अलग विषयों को समेटने की कोशिश की गई है।
दिनेश पाठक चर्चित कथाकार हैं। सभी शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं। कुछ कहानियों का अन्य भाषा में अनुवाद भी हुआ है। अब तक उनके नौ कथा संग्रह, दो उपन्यास और एक संपादित पुस्तक प्रकाशित हुई है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में - शायद यह अंतहीन, धुंध भरा आकाश, जो गलत है, इन दिनों वे उदास हैं, रात के बाद, अपने ही लोग, पारुल दी, नस्ल और देखना एक दिन शामिल है।
फेसबुक फिक्शन श्रृंखला की दूसरी किताब इश्क कोई न्यूज नहीं को पाठकों के बीच लाने की तैयारियां जोरों पर हैं। इस पुस्तक का प्रोमो लंदन में आयोजित एक कार्यशाला के बाद अनौपचारिक रूप से लांच किया गया।