मेजर जनरल (रिटायर्ड) मोहन सिंह की फौज में सर्विस को महज नौ साल हुए थे। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्हें एक अहम जिम्मेदारी दी गई। गुरदासपुर की सरहद पर लगते पाकिस्तान में एक पुल था जिसके जरिये पाक सैनिक गुरदासपुर होते हुए पठानकोट के जरिये कश्मीर को भारत से काट देना चाहते थे। उस पुल को नेस्तेनाबूद करने की जिम्मेदारी मेजर मोहन सिंह को दी गई। वह बताते हैं कि ‘ मेरे साथ दस सैनिक और थे। हमने पूरी रात लेट लेट कर सड़क पर बारूद बिछाया। खड़े होते तो सीमा पार से फायरिंग होती। हमारे जिंदा वापस आने की उम्मीद सिर्फ 30 फीसदी थी। मुझे मेरी पत्नी और बच्चों का जरा सा ख्याल नहीं आया, खयाल था तो बस उस पुल को मिटा देने का। हमने इस मिशन पर फतह हासिल की। ’ मेजर मोहन सिंह के अनुसार फौज इस देश के लिए क्या करती है यह बात उन लोगों को शायद पता ही नहीं जिन्होंने हमारी वन रैंक-वन पेंशन की मांग पर फैसला लेना है। वह कहते हैं ‘जिस देश में फौज की इज्जत नहीं होती उसे टुकड़ों में बंटने से कोई नहीं रोक सकता। अगर इन सालों में हमारी पाकिस्तान से लड़ाई नहीं हुई है तो इसका कारण भारत की फौज का मजबूत होना है लेकिन सरकार के रवैये से फौज का हौसला गिरता जा रहा है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपना दो दिवसीय ओडिशा दौरा बीच में ही छो़ड़कर दिल्ली लौट आए। पत्नी के अस्पताल में भर्ती होने की खबर मिलते ही राष्ट्रपति ने अपना दौरा रद्द कर दिया। उन्हें कटक में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेना था।
पिछले हफ्ते बरेली में विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल हुईं भाजपा नेता को मेरठ स्थित एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अभी अस्पताल में ही रखने का फैसला किया है। प्रशासन ने उनके समर्थकों के उपद्रव की आशंका को देखते हुए उन्हें छुट्टी देने का इरादा बदल लिया है।
पंजाब इंप्लॉय स्टेट इंश्योरेंस निगम (ईएसआई) अस्पतालों में अब आम लोग और सरकारी अस्पतालों में ईएसआई लाभपात्री इलाज करवा सकेंगे। इस योजना को पंजाब भर में लागू किया गया है।
राष्ट्रपति भवन में चाहे और बहुत कुछ हो मगर सफाई जरा कम है। हाल ही में जारी स्वच्छता अभियान रेटिंग में राष्ट्रपति भवन पिछड़ गया है। राष्ट्रपति भवन को हैदराबाद हाउस, विज्ञान भवन और जवाहरलाल नेहरू भवन ने पछाड़ा है।
अभिनेत्री और भाजपा सांसद हेमा मालिनी को आज अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। दौसा जिले में हेमा की मसर्डीज कार के एक अन्य कार से टकराने पर वह घायल हो गई थीं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
नेहरू की अनेक जीवनियां मौजूद हैं जो गहन शोध के बाद लिखी गई हैं। लेकिन उनके अलावा जनश्रुतियाँ भी हैं। उनकी जो तस्वीर जनमानस में नक्श है, वह अधिकतर अफवाहों से बनाई गई है। आप साधारण जन से बात करें तो उनकी छवि एक आरामतलब,ऐय्याश,धोखेबाज,भाई-भतीजावादी नेता और कमजोर प्रशासक की ही उभरती है।