प्रशंसकों के समर्थन को ध्यान में रखते हुए भारत अपना लगातार दूसरा डेविस कप मुकाबला शाम को खेलेगा। एशिया ओसियाना ग्रुप एक का यह मुकाबला भारत तीन फरवरी से पुणे में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलेगा। शुक्रवार को एकल मैच दोपहर बाद तीन बजे शुरू होंगे जबकि इसके अगले दिन युगल मैच शाम छह बजे शुरू करने का कार्यक्रम है। रविवार को होने वाले उलट एकल मैच फिर से तीन बजे से खेले जाएंगे।
भारत के महान टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति को डेविस कप टीम का नया गैर खिलाड़ी कप्तान बनाया गया है जो न्यूजीलैंड के खिलाफ पुणे में तीन से पांच फरवरी तक होने वाले एशिया ओशियाना जोन ग्रुप एक के मुकाबले में प्रभार लेंगे। न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबला गैर खिलाड़ी कप्तान के तौर पर आनंद अमृतराज का आखिरी होगा।
यूएस ओपन के पूर्व उपविजेता और दो बार के ओलंपियन रोहन बोपन्ना को न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन से पांच फरवरी के बीच होने वाले मुकाबले के लिये भारतीय डेविस कप टीम से बाहर कर दिया गया है।
खचाखच भरे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर चारों ओर से आते इंडिया इंडिया के शोर के बीच भारत ने आज बेहतरीन हाकी का नमूना पेश करते हुए बेल्जियम को 2-1 से हराकर जूनियर हाकी विश्व कप अपने नाम करने के साथ इतिहास पुस्तिका में नाम दर्ज करा लिया।
जीत के अश्वमेधी रथ पर सवार भारतीय टीम पंद्रह बरस बाद जूनियर हाकी विश्व कप फाइनल में कल बेल्जियम के खिलाफ उतरेगी तो खिलाड़ी अपनी आक्रामकता और जुझारूपन को बरकरार रखते हुए देशवासियों को अर्से बाद हाकी के मैदान पर खिताब तोहफे में देने के इरादे से उतरेंगे।
खिताब के प्रबल दावेदार भारत ने आज पूल डी के अपने अंतिम मैच में दक्षिण अफ्रीका को 2-1 से हराकर अपना विजय अभियान जारी रखा और बड़ी शान के साथ पुरूष जूनियर हाकी विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में कदम रखा।
अपनी सरजमीं पर खेल रही भारतीय हाकी टीम कल कनाडा के खिलाफ 11वें एफआईएच जूनियर विश्व कप में अपने अभियान का आगाज करेगी तो उसका इरादा पंद्रह साल से खिताब नहीं जीत पाने का सिलसिला तोड़ना होगा।
आनंद अमृतराज के समर्थन में बोलते हुए भारत के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देववर्मन ने कहा कि सहयोगी स्टाफ के बदलने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि डेविस कप कप्तान ने परिणाम दिये हैं और अनुशासहीनता के मुद्दे को उचित तरीके से निपटाया है।
भारत को पंद्रह बरस पहले एकमात्र जूनियर हाकी विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले अनुभवी फारवर्ड दीपक ठाकुर का मानना है कि भारतीय हाकी का अस्तित्व बचाने के लिये वह टूर्नामेंट एक जंग की तरह था और सुविधाओं के अभाव में भी हर खिलाड़ी के निजी हुनर के दम पर टीम ने नामुमकिन को मुमकिन कर डाला।