दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इंडियन इस्लामिक सेंटर में फिल्म अभिनेता इमरान हाशमी की पहली पुस्तक किस ऑफ लाइफ का विमोचन किया। किताब पेंग्विन रैंडम हाउस से प्रकाशित है।
कल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी के दिन उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे पर आधारित पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम का नवगठित गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने विरोध किया है।
जल्द ही करण ग्रोवर की हेट स्टोरी 3 फिल्म आने वाली है। बिपाशा चाहती हैं की यह फिल्म बहुत सफल हो। यह वही करण हैं जिन्होंने जॉन अब्राहम के बेवफा होने के बाद उन्हें अपना कंधा मुहैया कराया था।
राजेंद्र राव शिक्षा और पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में ही रमा रहा । तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद अवसर मिलते ही साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए। कृतियों में एक उपन्यास, सात कथा संकलन और कथेतर गद्य के बहुचर्चित संकलन उस रहगुजर की तलाश है । संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
देश के लाखों पेंशनभोगियों को अपने जीवित रहने का प्रमाण देने के लिए कहीं और नहीं भटकना पड़ेगा। केंद्र सरकार जल्द एक नया पोर्टल शुरू करने जा रही है जहां उन्हें डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी।
5 अक्टूबर 1955 को जन्म। छह कहानी संग्रह, 3 उपन्यास और एक कविता संग्रह। पहली कहानी सन 1978 में सारिका में प्रकाशित। दूरदर्शन और आाकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों द्वारा कहानियों पर टेलीफिल्म और रेडियो नाटकों का निर्माण। कई कहानियों का भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं में कहानियां अनूदित।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो प्राकृतिक माहौल में सैर करने से अवसाद से दूर रहा जा सकता है। जो लोग अवसाद में रहते हैं और शहरी इलाकों या बहुत भीड़ वाली जगह पर रहते हैं या ऐसी ही जगहों पर सैर करते हैं उन्हें सलाह है कि प्रकृति के थोड़ा करीब जाएं।
सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे पर लगे आरोपों के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने याद दिलाया कि जब उन पर हवाला कांड के आरोप लगे थे तो उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया था। वाजपेयी ने उन्हें मना भी किया था लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।
चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी ‘उसने कहा था’ सौ साल की हो गई है। यह सिर्फ प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि मासूम प्रेम की अभिव्यक्ति है। उसने कहा था गुलेरी जी ने सन 1915 में लिखी थी। सौ साल बाद भी इस कहानी की न रुमानियत खत्म हुई न मासूमियत।