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भारतीय टीम ने 15 साल बाद जूनियर वर्ल्‍ड कप हॉकी का खिताब जीता

भारतीय टीम ने 15 साल बाद जूनियर वर्ल्‍ड कप हॉकी का खिताब जीता

खचाखच भरे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर चारों ओर से आते इंडिया इंडिया के शोर के बीच भारत ने आज बेहतरीन हाकी का नमूना पेश करते हुए बेल्जियम को 2-1 से हराकर जूनियर हाकी विश्व कप अपने नाम करने के साथ इतिहास पुस्तिका में नाम दर्ज करा लिया।
पंद्रह बरस बाद जूनियर हाकी विश्व कप जीतने के तेवरों के साथ उतरेगा भारत

पंद्रह बरस बाद जूनियर हाकी विश्व कप जीतने के तेवरों के साथ उतरेगा भारत

जीत के अश्वमेधी रथ पर सवार भारतीय टीम पंद्रह बरस बाद जूनियर हाकी विश्व कप फाइनल में कल बेल्जियम के खिलाफ उतरेगी तो खिलाड़ी अपनी आक्रामकता और जुझारूपन को बरकरार रखते हुए देशवासियों को अर्से बाद हाकी के मैदान पर खिताब तोहफे में देने के इरादे से उतरेंगे।
माकपा का आरोप, भारतीय रक्षा बल अमेरिकी निगरानी में आ जाएंगे

माकपा का आरोप, भारतीय रक्षा बल अमेरिकी निगरानी में आ जाएंगे

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया है कि अमेरिका के भारत को प्रमुख रक्षा सहयोगी का दर्जा देने के फैसले से भारत, अमेरिका का जूनियर सहयोगी बन जाएगा। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इससे भारतीय रक्षा बल और रक्षा उत्पादन अमेरिकी निगरानी और नियंत्रण के लिए उपलब्ध हो जाएंगे।
जूनियर हॉकी विश्व कप : भारत क्वार्टर फाइनल में

जूनियर हॉकी विश्व कप : भारत क्वार्टर फाइनल में

खिताब के प्रबल दावेदार भारत ने आज पूल डी के अपने अंतिम मैच में दक्षिण अफ्रीका को 2-1 से हराकर अपना विजय अभियान जारी रखा और बड़ी शान के साथ पुरूष जूनियर हाकी विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में कदम रखा।
भारत की नजरें 15 साल बाद जूनियर हाकी विश्व कप जीतने पर

भारत की नजरें 15 साल बाद जूनियर हाकी विश्व कप जीतने पर

अपनी सरजमीं पर खेल रही भारतीय हाकी टीम कल कनाडा के खिलाफ 11वें एफआईएच जूनियर विश्व कप में अपने अभियान का आगाज करेगी तो उसका इरादा पंद्रह साल से खिताब नहीं जीत पाने का सिलसिला तोड़ना होगा।
भारतीय हाकी के वजूद की जंग थी 2001 जूनियर विश्व कप : ठाकुर

भारतीय हाकी के वजूद की जंग थी 2001 जूनियर विश्व कप : ठाकुर

भारत को पंद्रह बरस पहले एकमात्र जूनियर हाकी विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले अनुभवी फारवर्ड दीपक ठाकुर का मानना है कि भारतीय हाकी का अस्तित्व बचाने के लिये वह टूर्नामेंट एक जंग की तरह था और सुविधाओं के अभाव में भी हर खिलाड़ी के निजी हुनर के दम पर टीम ने नामुमकिन को मुमकिन कर डाला।
सिंधु का 'गोल्‍डन' मैच टी-20 क्रिकेट के सेमीफाइनल से भी ज्‍यादा हिट रहा

सिंधु का 'गोल्‍डन' मैच टी-20 क्रिकेट के सेमीफाइनल से भी ज्‍यादा हिट रहा

देश में क्रिकेट को सबसे लोकप्रिय खेल माना जाता है। लेकिन बैडमिंटन ने अब इस खेल को पीछे कर दिया है। रियो ओलम्पिक खेलों में स्‍वर्ण पदक के लिए हुए महिला सिंगल्स मैच में भारतीय शटलर पी.वी. सिंधु और स्पेन की कैरोलिना मारिन के बीच हुए मैच को विश्‍व कप क्रिकेट टी-20 सेमीफाइनल मैच से भी ज्‍यदा दर्शक मिले हैं।
गजब गुरु : गोपीचंद ने घर गिरवी रख अकादमी खोली, ओलंपिक में लहराया तिरंगा

गजब गुरु : गोपीचंद ने घर गिरवी रख अकादमी खोली, ओलंपिक में लहराया तिरंगा

साइना नेहवाल और पीवी सिंधू के लगातार ओलंपिक खेलों में पदक के दौरान इन दोनों खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करने वाले मुख्य बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि वह भाग्यशाली थे कि पढ़ाई में अच्छे नहीं थे और आईआईटी परीक्षा पास नहीं कर पाने से उनके सफल खिलाड़ी बनने का रास्ता खुला।
रजत पदक से खुश हूं, अपना सब कुछ झोंक दिया : सिंधु

रजत पदक से खुश हूं, अपना सब कुछ झोंक दिया : सिंधु

पीवी सिंधु बैडमिंटन में महिलाओं की एकल स्पर्धा में रजत पदक जीतकर खुश हैं। उन्होंने कहा कि देश को स्वर्ण पदक दिलाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ झोंक दिया था।
सिंधु के ‘द्रोणाचार्य’

सिंधु के ‘द्रोणाचार्य’

कहा जाता है कि गुरु को मुक्ति तब मिलती है, जब शिष्य उससे बड़ा हो जाए। गोपीचंद ने इसे अपनी जिंदगी में अपनाया है। ओलंपिक के लिहाज से देखा जाए, तो आज उनके शिष्य बड़े मुकाम पर खड़े हैं। गोपी से भी ऊंचे मुकाम पर। फर्क बस यह है कि गोपी का कद भी उसके साथ बढ़ता जा रहा है। जीवन में जो सीखा, उसे संसार को वापस करना क्या होता है, इसे गोपी से समझा जा सकता है।
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