मुंबई में एक साहित्य समारोह के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर हो रही बहस तब गरमा गई जब अनुपम खेर ने मंच से आरोप लगा दिया कि कार्यक्रम में किराए की भीड़ लाई गई है।
समाज बदल रहा है या विज्ञापन। शायद दोनों ही। लेकिन विज्ञापनों की दुनिया तेजी से बदल रही है। जिन मुद्दों पर हम बात करने से कतराते हैं, उन पर भी अब विज्ञापन बनाए जा रहे हैं। बेशक यह छोटा माध्यम है लेकिन इनका भी असर तो पड़ता ही है।