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किताब में मस्जिद को ‘शोर की जगह’ बताए जाने से बवाल, प्रकाशक ने मांगी माफी

किताब में मस्जिद को ‘शोर की जगह’ बताए जाने से बवाल, प्रकाशक ने मांगी माफी

आईसीएसई स्कूलों में पढ़ायी जाने वाली एक किताब में एक ‘‘मस्जिद’’ को ध्वनि प्रदूषण के स्रोत के रूप में पेश करने को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने गुस्से का इजहार किया जिसके बाद प्रकाशक ने माफी मांगी और चित्र को आगे के संस्करणों से हटाने का वादा किया।
जावडेकर ने कहा, पाठ्यपुस्तक में लिंगभेद बर्दाश्त नहीं, कार्रवाई का आदेश

जावडेकर ने कहा, पाठ्यपुस्तक में लिंगभेद बर्दाश्त नहीं, कार्रवाई का आदेश

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने 12वीं कक्षा की एक पाठ्यपुस्तक में महिला के शरीर की बनावट के बारे में दिए गए विवरण को लिंगभेदी बताया और इस मामले में कार्रवाई का आदेश दिया।
प्रकाशक घटे, पर मेला रोमांचक होगा-आयोजकों का दावा

प्रकाशक घटे, पर मेला रोमांचक होगा-आयोजकों का दावा

पहले के मुताबिक प्रकाशकों की घटी संख्या के बावजूद आयोजकों का मानना है कि 7-15 जनवरी के बीच आयोजित नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला ज्ञान और रोमांच से भरा होगा। विशिष्ट अतिथि, भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि राजदूत टोमाश कोजलौस्की की मौजूदगी में, उद्घाटन 7 जनवरी को पूर्वाह्न 11 बजे प्रगति मैदान के हंस ध्वनि थिएटर में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडे करेंगे। अतिथि होंगी ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त, ओड़िया लेखिका डॉ. प्रतिभा राय।
बिहार के गांव से तिहाड़ तक के सफर पर किताब लिखेंगे कन्हैया

बिहार के गांव से तिहाड़ तक के सफर पर किताब लिखेंगे कन्हैया

जेएनयू में कथित देशविरोधी नारेबाजी के बाद देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हुए छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार अपनी जीवन यात्रा पर अब एक किताब लिखेंगे। इस किताब में कन्हैया बिहार के एक गांव से शुरु होकर देशद्रोह के आरोप में दिल्ली के तिहाड़ जेल जाने तक के अपने जीवन के सफर पर रौशनी डालेंगे।
आजादी विशेष | मत बोल कि जुबां है बंदिश में तेरी

आजादी विशेष | मत बोल कि जुबां है बंदिश में तेरी

अभिव्यक्ति की आजादी के लिए यह वर्ष नाटकीय रहा है। यह इंडियाज डॉटर पर सेंसरशिप से लेकर श्रेया सिंघल फैसले के उत्साह और फिर गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी को ब्लॉक करने की सरकारी कोशिश के बीच झूलता रहा। हालांकि हर घटना ने अलग-अलग नाराजगी पैदा की मगर सच यही है कि ये सभी जुड़ी हुई हैं। ये सभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को दूर रखने वाले संवैधानिक सुरक्षा उपायों में मौजूद खामियों को बताने वाले चेतावनी संकेत हैं।
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