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Search Result : " संवत्सर व्याख्यानमाला"

मार्क्सवाद व्यक्ति को कम महत्व देता है- राम चंद्र गुहा

मार्क्सवाद व्यक्ति को कम महत्व देता है- राम चंद्र गुहा

साहित्योत्सव 2017 केतीसरे दिन शाम को प्रख्यातविद्वान एवं इतिहासकार डॉ. रामचंद्र गुहा ने कहा कि मार्क्सवाद व्यक्ति को कम महत्त्व देता है। वे अकादेमी की प्रतिष्ठित संवत्सर व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘ऐतिहासिकजीवनी का शिल्प’ विषयक व्याख्यान के दौरान धार्मिक एवं वैचारिक विरासत की चर्चा कर रहे थे।
नीतियों को लागू करने में राजन को दिखती हैं मुश्किलें

नीतियों को लागू करने में राजन को दिखती हैं मुश्किलें

भारत में मौद्रिक नीति निर्माण की अपनी जिम्मेदारी को मजेदार और आसान बताते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि जटिलता वहां से शुरू होती हैं जब नीति को राजनीतिक रूप से स्वीकार्य बनाने की बात आती है और इसके लिए थोड़ी चतुराई की जरूरत होती है।
हम असहिष्णुता के लिए सहिष्णु हैं – प्रो. सेन

हम असहिष्णुता के लिए सहिष्णु हैं – प्रो. सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफ्रेसर अमर्त्य सेन ने अपने नाम ‘अमर्त्य’ से अपनी बात शुरू करते हुए बताया कि कैसे गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने उनका नाम रखा और अपने चाचा जोतिर्मय सेन के अंग्रेजों की गुलामी के प्रति संघर्ष जारी रखा ताकि देश आजाद हो सके। लेकिन क्या वाकई देश वैसा ‘आजाद’ हुआ है। यह बात उन्होंने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के राजेन्द्र माथुर स्मृति व्याख्यानमाला में कहे। उन्होंने इंडियन पीनल कोड से बात शुरू करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी के संदर्भ में बहुत सी बाते रखीं।
वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

‘कभी जीवन का सर्वांगीण विकास करने वाली शिक्षा आज तरक्की के नाम पर पूंजीवाद की गिरफ्त में है। संस्कारों की पहली पाठशाला घर-परिवार थे, जो अब सन्नाटे फांक रहे हैं और पाठशालाएं गोडाउन बन गई हैं जहां बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। मुनाफे का सौदा बन चुकी शिक्षा का आदर्श अब बाजार के बीहड़ में बिला गया है।’ फिल्म समीक्षक और चिंतक जयप्रकाश चौकसे ने इस आशय के विचार खंडवा में आयोजित वनमाली व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।
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