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गांधीवादी घनश्याम शुक्ल जिन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए भीख मांगने से भी परहेज नहीं किया

गांधीवादी घनश्याम शुक्ल जिन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए भीख मांगने से भी परहेज नहीं किया

जिनके किरदार से आती हो सदाक़त की महक उनकी तदरीस से पत्थर भी पिघल सकते हैं   यह पंक्ति किसी अज्ञात की...
हिजाब विवाद पर गांधीवादी संगठनों ने कहा- न बुरका का जवाब भगवा गमछा है, न जयश्री राम का जवाब अल्ला-हू-अकबर

हिजाब विवाद पर गांधीवादी संगठनों ने कहा- न बुरका का जवाब भगवा गमछा है, न जयश्री राम का जवाब अल्ला-हू-अकबर

कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद की लपटें पूरे देश में फैलती दिख रही है। इस बीच गांधीवादी संगठनों ने...
गांधी: बस नाम ही बाकी है

गांधी: बस नाम ही बाकी है

राष्ट्रपिता के रूप में ख्याति पाने वाले शख्स के नाम पर पूरे भारत में ढेरों संस्थाएं हैं, जिनका बस 'नाम’ ही बाकी रह गया है
सरकारी अनदेखी और गांधीवादी गुरुशरण छाबड़ा की मौत

सरकारी अनदेखी और गांधीवादी गुरुशरण छाबड़ा की मौत

राजस्थान की वसुंधराराजे सरकार ने बुजुर्ग गांधीवादी को दिए वादे को पूरा करने से किया इनकार। शराबबंदी और लोकपाल के लिए गुरुशरण छाबड़ा ने दी जान
शांति के पासे फेंकने की जरूरत

शांति के पासे फेंकने की जरूरत

निर्मला देशपांडे की पाकिस्तान में बरसी से उठी ये सदाएं मनमोहन सिंह पहुंची या यह उनकी अंत: प्रेरणा थी अथवा अमेरिकी उत्प्रेरणा, जैसा कि कुछ लोग विश्‍वास करना चाहते हैं, शर्म अल शेख के संयुक्त वक्तव्य में ब्लूचिस्तान के जिक्र के लिए राजी होकर और भारत-पाक समग्र वार्ता के लिए भारत में आतंकवादी हमले रोकने की पूर्व शर्त को ढीला करके भारतीय प्रधानमंत्री ने शांति के लिए एक जुआ खेला है। मुंबई हमले के बाद दबाव की कूटनीति से भारत को जो हासिल होना था वह हो चुका और पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकतंत्र के खिलाफ अपेक्षया गंभीर कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। दबाव की कूटनीति की एक सीमा होती है और विनाशकारी परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं हैं। इसलिए वार्ता की कूटनीति के लिए जमीन तैयार करने की जरूरत थी। ब्लूचिस्तान के जिक्र को भी थोड़ा अलग ढंग से देखना चाहिए।
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