Advertisement

Search Result : "तरक्की"

'स्वस्थ समाज ही तरक्की की बुनियाद': विश्व स्वास्थ्य दिवस पर बोले प्रधानमंत्री मोदी

'स्वस्थ समाज ही तरक्की की बुनियाद': विश्व स्वास्थ्य दिवस पर बोले प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर कहा कि उनकी सरकार स्वास्थ्य...
राज्यपाल रवि पर सीएम स्टालिन का बड़ा आरोप, कहा-  तमिलनाडु की तरक्की को पचा नहीं पा रहे

राज्यपाल रवि पर सीएम स्टालिन का बड़ा आरोप, कहा- तमिलनाडु की तरक्की को पचा नहीं पा रहे

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने शनिवार को कहा कि राज्यपाल आर एन रवि इस बात को पचा नहीं पा रहे...
सीएम केजरीवाल का केंद्र और बीजेपी पर हमला, कहा- ये लोग सीबीआई-ईडी खेल रहे, देश कैसे तरक्की करेगा?

सीएम केजरीवाल का केंद्र और बीजेपी पर हमला, कहा- ये लोग सीबीआई-ईडी खेल रहे, देश कैसे तरक्की करेगा?

राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण...
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- किसानों की तरक्की से होती है देश की प्रगति

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- किसानों की तरक्की से होती है देश की प्रगति

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि जब तक हिंदुस्तान का किसान धनवान नहीं होता, हिंदुस्तान को धनवान बनाने की कल्पना पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का प्रयास जारी है। भाजपा शासित मध्य प्रदेश में पुलिस की गोलीबारी में पांच किसानों की मौत होने के बाद उनका यह बयान सामने आया है।
तालीम की ही चाबी से खुलेंगे तरक्की के ताले

तालीम की ही चाबी से खुलेंगे तरक्की के ताले

यूनिफॉर्म सिविल कोड और तीन तलाक पर हर दिन टेलीविजन और सोशल मीडिया पर तीखी बहस जारी है। एक तबका तर्क दे रहा है कि तीन तलाक ही मुसलमान औरतों के पिछड़ेपन की वजह है। कुल मिलाकर मुसलमान औरतों के हुकूक के सिलसिले में बहस-मुबाहसे तीन तलाक तक सीमित हो गए हैं। जबकि तरञ्चकी के पायदान पर उनके आखिरी कतार में खड़े होने की असल वजह उनकी कम तालीम है।
‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है। इसके अलावा उर्दू और हिंदी छोटी और बड़ी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement