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नज़रिया

MS Paint को भुलाना अपनी यादों से पीछा छुड़ाने जैसा

MS Paint को भुलाना अपनी यादों से पीछा छुड़ाने जैसा

माइक्रोसॉफ्ट साल के अंत तक अपने विंडोज 10 में कई बदलाव करने जा रहा है। पहले कंपनी ने संकेत दिए थे कि MS Paint अब इसका हिस्सा नहीं होगा और आगे इसे अपडेट नहीं किया जाएगा लेकिन MS Paint लोगों के लिए एक नॉस्टैल्जिया का काम भी करता है इसलिए लोगों ने इस फैसले पर काफी दु:ख जताया। इसे देखते हुए कंपनी ने घोषणा की है कि इसे पूरी तरह नहीं हटाया जाएगा बल्कि इसे विंडोज स्टोर से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है।
कॉपीराइट की असल चिंता किसे है?

कॉपीराइट की असल चिंता किसे है?

कुमार विश्वास आजकल अपने यूट्यूब चैनल पर 'तर्पण' नाम से एक हिंदी के नामी कवियों को सांगीतिक श्रद्धांजलियाँ दे रहे हैं। प्रायः ये गीत उन्हीं के स्वर में होते हैं और उनपर ही फिल्माए गए हैं। नागार्जुन, निराला, महादेवी, दुष्यंत कुमार, भवानी प्रसाद मिश्र आदि रचनाकारों के क्रम में उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की कविता 'नीड़ का निर्माण फिर फिर' को भी गाया। बच्चन जी के सुपुत्र अमिताभ बच्चन को यह हरकत नागवार गुजरी और उन्होंने पहले ट्विटर पर अपनी नाराजगी का इजहार किया और फिर कुमार विश्वास को कानूनी नोटिस भिजवा दिया।
सोसायटी और समाज के बीच ऊंची होती दीवार

सोसायटी और समाज के बीच ऊंची होती दीवार

महागुन सोसायटी में जो कुछ घटित हुआ उसने गेटेड सोसायटी और उनके बाहर बसी झुग्गी बस्तियों के बीच बढ़ते अलगाव और टकराव को तो उजागर किया ही, साथ ही घरेलू सहायिकाओं के साथ होने वाले बर्ताव की तरफ भी हमारा ध्यान खींचा है।
क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
बिहार में सिर्फ छात्र नहीं समूची शिक्षा व्यवस्था फेल हुई

बिहार में सिर्फ छात्र नहीं समूची शिक्षा व्यवस्था फेल हुई

अगर बिहार और दूसरे राज्यों की सरकारें वास्तव में शिक्षा को लेकर गंभीर हैं तो सिर्फ दंडात्मक कार्यवाही और जबानी जमा खर्च से काम नहीं चलेगा। उन्हें सकारात्मक कदम भी उठाने होंगे।
आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे को 19 साल पुराने मामले में 4 माह की सजा

आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे को 19 साल पुराने मामले में 4 माह की सजा

राजस्थान में अजमेर जिले की किशनगढ़ की मुंसिफ अदालत ने 19 साल पुराने एक मामले में सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे को 4 माह के कारावास की सजा सुनाई है।
वादों का हिसाब मांगो तो धैर्य खो बैठती है सरकार और पुलिस

वादों का हिसाब मांगो तो धैर्य खो बैठती है सरकार और पुलिस

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के पुणतांबा गांव से अपनी उपज का वाजिब दाम मांगने को लेकर शुरू हुआ किसान आंदोलन मध्य प्रदेश के मंदसौर में आकर हिंसक हो गया। कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल पाने से ही किसानों की नाराजगी बढ़ी तो मंदसौर में पुलिस धैर्य खो बैठी।
माफ कीजिए नसीरुद्दीन साहब, हक़ीक़त से दूर हैं आप!

माफ कीजिए नसीरुद्दीन साहब, हक़ीक़त से दूर हैं आप!

हिंदुस्तान टाइम्स में “बीइंग मुस्लिम नाउ” सीरीज में छपा अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का लेख एक संपन्न मुसलमान की शेख़ी और भड़ास से ज़्यादा कुछ नहीं है।
नए दौर में दलित पॉलिटिक्स: जाति पर जोर से दलित एजेंडा हुआ फीका

नए दौर में दलित पॉलिटिक्स: जाति पर जोर से दलित एजेंडा हुआ फीका

आज दलित समुदाय हर दृष्टि से चौराहे पर खड़ा है। कई दशक बाद दलित राजनीति लगभग हाशिए पर पंहुच गई है। दलित जन प्रतिनिधियों से दलित समुदाय एकदम निराश है। वे समुदाय पर होने वाले अत्याचार के मसलों पर कुछ नहीं बोलते हैं। अब दलित समाज में उन्हें खुले मंचों से पूना पैक्ट की खरपतवार कहना शुरू कर दिया है।
अगर हम 'झंडू बाम' की जात नहीं पूछते तो 'रूह अफजा' ने क्या बिगाड़ा है?

अगर हम 'झंडू बाम' की जात नहीं पूछते तो 'रूह अफजा' ने क्या बिगाड़ा है?

क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?
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