जंतर-मंतर पर तमिलनाडु के किसानों का धरना-प्रदर्शन अपने अनूठे तौर-तरीकों को लेकर चर्चाओं में रहा। पढ़िए, इस आंदोलन को किस नजरिये से देखते हैं मध्य प्रदेश के युवा किसान नेता केदार सिरोही
राजभाषा पर बनी संसदीय समिति की 9वीं रिपोर्ट की ज्यादातर सिफारिशें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने मान ली हैं। लेकिन इन सिफारिशों को जिस तरह प्रचारित किया जा रहा है, उससे हिंदी का भला कम, नुकसान ज्यादा हो सकता है। भाषाई वर्चस्व के जिन आरोपों से उबरने में हिंदी को कई दशक लगे, ऐसे खबरेें उन्हें फिर से जिंदा कर सकती हैं।
चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पुरे होने पर देश व्यापक विमर्श के दौर से गुजर रहा है,किसी को गाँधी याद आ रहे हैं,किसी को सत्याग्रह,किसी को अंग्रेजी शासन की क्रूरता, इस बीच जो याद नहीं किया जा रहा है वो है किसान।
देश के वरिष्ठतम राजनेताओं में शुमार और देश में कृषि और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने और उनका नेतृत्व करने की पहल कर सकते हैं। इस बात का संकेत उन्होंने उनके जीवन पर लिखी जद(यू) महासचिव केसी त्यागी की किताब के विमोचन के मौके पर दिया है।
स्त्रीकाल और राष्ट्रीय दलित महिला आंदोलन के दिल्ली में आयोजित त्रिसत्रीय संयुक्त सेमिनार में मौजूदा चुनौतियों से निपटने की जरूरत संबंधी, प्रोफ़ेसर चौथीराम यादव के प्रस्ताव कि ‘राष्ट्रवाद के नाम पर जिस तरह की आक्रामकता देखी जा रही है, वह एक राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है’ से मौजूद विचारकों ने सहमति जताई और स्वीकारा कि राजनीतिक विपक्ष की कमजोरी से देश के विश्वविद्यालय वास्तविक प्रतिपक्ष के रूप में खड़े हो रहे हैं, खास कर वहां के छात्र।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर पेंग्विन रैंडम हाउस से आई नई किताब 'डिफीट इज एन ऑर्फन : हाउ पाकिस्तान लॉस्ट द ग्रेट साउथएशियन वार' में कहा गया है कि अगर भारत को नियंत्रण रेखा के पार हमलों के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन है तो वह इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की ओर से जिहादियों के हमले को भारत ने 1998 से बेहद सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया हुआ है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के पूर्ववर्तियों का धन्यवाद है।
भारत में विमुद्रीकरण के करीब तीन माह पश्चात जिसमें कि 86 % चलित मुद्रा को प्रतिबंधित कर दिया गया था। उस संदर्भ में अप्रवासी भारतीयों के लिए दिशानिर्देशों की घोषणा की गई, यद्यपि अधिकतर अप्रवासी भारतीय इससे अप्रभावित रहे क्योंकि वे भारतीय मुद्रा से व्यवहार नहीं करते परंतु उनके सगे-संबंधी भारत में इससे अवश्य प्रभावित रहे, लेकिन फिर भी अप्रवासी भारतीयों ने इस विमुद्रीकरण का स्वागत किया परंतु वे चाहते थे कि भारत सरकार ऐसा विचार अमल में लाए जो विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीय विदेशों में मौजूद अपने दूतावास में जाकर भारतीय मुद्रा को जमा अथवा बदलवा सके।