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नज़रिया

चंपारण सत्याग्रह शताब्दी: सिर्फ आयोजन या कुछ प्रयोजन भी

चंपारण सत्याग्रह शताब्दी: सिर्फ आयोजन या कुछ प्रयोजन भी

चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पुरे होने पर देश व्यापक विमर्श के दौर से गुजर रहा है,किसी को गाँधी याद आ रहे हैं,किसी को सत्याग्रह,किसी को अंग्रेजी शासन की क्रूरता, इस बीच जो याद नहीं किया जा रहा है वो है किसान।
भाजपा को रोकने शरद पवार करेंगे विपक्ष की अगुआई!

भाजपा को रोकने शरद पवार करेंगे विपक्ष की अगुआई!

देश के वरिष्ठतम राजनेताओं में शुमार और देश में कृषि और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने और उनका नेतृत्व करने की पहल कर स‌कते हैं। इस बात का संकेत उन्होंने उनके जीवन पर लिखी जद(यू) महासचिव केसी त्यागी की किताब के विमोचन के मौके पर दिया है।
राष्ट्रवाद के नाम पर आक्रामकता राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं-चौथीराम यादव

राष्ट्रवाद के नाम पर आक्रामकता राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं-चौथीराम यादव

स्त्रीकाल और राष्ट्रीय दलित महिला आंदोलन के दिल्ली में आयोजित ‌त्रिसत्रीय संयुक्त सेमिनार में मौजूदा चुनौतियों से निपटने की जरूरत संबंधी, प्रोफ़ेसर चौथीराम यादव के प्रस्ताव कि ‘राष्ट्रवाद के नाम पर जिस तरह की आक्रामकता देखी जा रही है, वह एक राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है’ से मौजूद विचारकों ने सहमति जताई और स्वीकारा कि राजनीतिक विपक्ष की कमजोरी से देश के विश्वविद्यालय वास्तविक प्रतिपक्ष के रूप में खड़े हो रहे हैं, खास कर वहां के छात्र।
‘मोदी के पूर्ववर्तियों ने जिहादी हमलों को सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया’

‘मोदी के पूर्ववर्तियों ने जिहादी हमलों को सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया’

भारत-पाकिस्तान संबंधों पर पेंग्विन रैंडम हाउस से आई नई किताब 'डिफीट इज एन ऑर्फन : हाउ पाकिस्तान लॉस्ट द ग्रेट साउथएशियन वार' में कहा गया है कि अगर भारत को नियंत्रण रेखा के पार हमलों के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन है तो वह इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की ओर से जिहादियों के हमले को भारत ने 1998 से बेहद सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया हुआ है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के पूर्ववर्तियों का धन्यवाद है।
विमुद्रीकरण और अप्रवासी भारतीय

विमुद्रीकरण और अप्रवासी भारतीय

भारत में विमुद्रीकरण के करीब तीन माह पश्चात जिसमें कि 86 % चलित मुद्रा को प्रतिबंधित कर दिया गया था। उस संदर्भ में अप्रवासी भारतीयों के लिए दिशानिर्देशों की घोषणा की गई, यद्यपि अधिकतर अप्रवासी भारतीय इससे अप्रभावित रहे क्योंकि वे भारतीय मुद्रा से व्यवहार नहीं करते परंतु उनके सगे-संबंधी भारत में इससे अवश्य प्रभावित रहे, लेकिन फिर भी अप्रवासी भारतीयों ने इस विमुद्रीकरण का स्वागत किया परंतु वे चाहते थे कि भारत सरकार ऐसा विचार अमल में लाए जो विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीय विदेशों में मौजूद अपने दूतावास में जाकर भारतीय मुद्रा को जमा अथवा बदलवा सके।
कांग्रेस क्या सचमुच अंतिम सांसें गिन रही है?

कांग्रेस क्या सचमुच अंतिम सांसें गिन रही है?

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को जिताने का पूरा दारोमदार उठाए घूम रहे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मतदाताओं से कह रहे हैं कि कांग्रेस अपनी अंतिम सांसें गिन रही है, अब वह इतिहास की चीज़ हो गई है और इस डूबते जहाज को अपना समर्थन देकर वोट खराब करने की ज़रूरत नहीं है।
शास्त्री जी की मृत्यु का विवाद खत्म हो

शास्त्री जी की मृत्यु का विवाद खत्म हो

पंडित जवाहरलाल नेहरू की विरासत को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में संभालने वाले लाल बहादुर शास्त्री के निधन को 51 साल हो गए हैं, पर उनके परिवार के कुछ सदस्यों को आज भी संदेह है कि उनकी मृत्यु प्राकृतिक नहीं थी। ऐसे में शास्त्री जी के परिजनों को उनके साथ गए सहयोगियों द्वारा ताशकंद समझौते के विवरणात्मक तथ्यों को एक बार अवश्य देख लेने की आवश्यकता है।
सामाजिक परिवर्तन में हमारी जिम्मेदारियों के मद्देनजर राष्ट्रीय संगोष्ठी नौ दिसंब

सामाजिक परिवर्तन में हमारी जिम्मेदारियों के मद्देनजर राष्ट्रीय संगोष्ठी नौ दिसंब

नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटैट सेंटर के गुलमोहर हॉल में सद्भावना सेवा संस्थान एवं इंटरफेथ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 9 दिसंबर, गुरुवार को किया जा रहा है। विषय है- ‘सामाजिक-धार्मिक परिदृश्य - सामाजिक परिवर्तन और जिम्मेदारियां।’