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नज़रिया

चर्चाः पाप-पुण्य करें पूरे मन से। आलोक मेहता

चर्चाः पाप-पुण्य करें पूरे मन से। आलोक मेहता

भारतीय नेता हों या अभिनेता, व्यापारी हों या खिलाड़ी, समय के साथ नए-नए रूप दिखाते हैं। रंगमंच पर ही नहीं, जीवन में भी मुखौटा लगाकर पाप-पुण्य करना चाहते हैं। तभी तो पनामा में काले धन के खातों का पर्दाफाश होने के बावजूद किसी ने यह नहीं माना कि उससे कोई गलती हुई है। पर्दे के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने जानकर अनजान बनते हुए इतना माना कि किसी ने उनके नाम का दुरुपयोग किया होगा। दूसरी तरफ पनामा पेपर्स आने के बाद आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने नैतिक अपराध स्वीकार कर पद से इस्तीफा दे दिया।
खोजी पत्रकारिता की असलियत

खोजी पत्रकारिता की असलियत

'पनामा पेपर्स’ ने विकीलीक्स‍ से ज्यादा विश्वभर में हलचल पैदा की है। भारत में भी क्योंकि 500 से ज्यादा भारतीयों के विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी होने के कागजातों का खुलासा हुआ है। लेकिन मेरा मानना है कि यह भारतीय खोजी पत्रकारिता की बहुत अच्छी मिसाल नहीं है। कारण दुनिया भर के तथाकथित खोजी पत्रकारिता के 'स्टार अलाइंस’ ने जो दस्तावेज एकत्रित किए, उनको हमारे अखबारों ने हूबहू छाप दिया है। उनकी आगे से कोई खोजबीन नहीं की। मीडिया अब भी, ज्यादातर घटनाओं में, सरकारी एजेंसियों एवं कचहरी द्वारा प्राप्त किए कागजातों को अपने सूत्रों के हवाले से छापकर वाहवाही लूटने की कोशिश करता है। ज्यादातर 'खोजी खबरें’ प्लेट में सजी-सजाई मिलती हैं।
चीन-पाक गठजोड़ भारत के लिए खतरनाक

चीन-पाक गठजोड़ भारत के लिए खतरनाक

भारत कुछ समय से विश्व के नेताओं को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश कर रहा है और काफी हद तक वह इसमें सफल भी रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ मीटिंग के दौरान जिस तरह से आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व के नेताओं को एकजुट करके उनसे एक साथ मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करने का आश्वासन मिला वह काबिले तारीफ है।
केंद्र सरकार के खिलाफ है हाईकोर्ट का फैसला

केंद्र सरकार के खिलाफ है हाईकोर्ट का फैसला

नैनिताल उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश के जरिए एक समानांतर प्रक्रिया शुरू की, जिसका अभी तक कोई उदाहरण नहीं मिलता, पहली बार राष्ट्रपति शासन के अंतर्गत होगा बहुमत परीक्षण
मध्य पूर्व में अस्थिरता का परिणाम है ब्रसेल्स हमला

मध्य पूर्व में अस्थिरता का परिणाम है ब्रसेल्स हमला

ब्रसेल्स में आईएसआईएस के आतंकी हमले को सिर्फ तात्कालिक मामले के रूप में देखना इस समस्या का सरलीकरण करना होगा। दरअसल यूरोप पर हाल के दिनों में बढ़े आतंकी हमले के बीज इस्लाम और ईसाइयत के बीच सदियों से चले आ रहे टकराव में छिपे हैं।
एसवाईएलः जल बंटवारे का मुद्दा कम, राजनीति का ज्यादा है

एसवाईएलः जल बंटवारे का मुद्दा कम, राजनीति का ज्यादा है

पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) विवाद लगभग 50 साल पुराना है। इससे पहले दक्षिण भारत में पानी के बंटवारे को लेकर विवाद उत्तर भारत से कहीं ज्यादा थे। लेकिन दक्षिण में विभिन्न राज्यों में पानी के प्रतिशत के बंटवारे को लेकर विवाद था जबकि पंजाब-हरियाणा में पानी की मलकियत को लेकर विवाद है।
ममता का असमंजस और आत्मविश्वास

ममता का असमंजस और आत्मविश्वास

पंद्रह साल पहले। 13 मार्च, 2001 का बहुचर्चित स्टिंग `ऑपरेशन वेस्ट एंड'। सीडी में फर्जी हथियार डीलर बनकर गए एक व्यक्ति से एक लाख रुपए लेते दिखाए गए थे भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण। तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल थी तृणमूल कांग्रेस और इस पार्टी की सुप्रीमो ममता बनर्जी अटल बिहारी वाजपेयी की तत्कालीन सरकार में रेल मंत्री थीं। उस वक्त ममता बनर्जी ने बंगारू लक्ष्मण और तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के इस्तीफे की मांग उठाई थी। इस्तीफा न होने पर समर्थन वापसी की धमकी दी थी।
संपन्नता के सागर में डुबकी

संपन्नता के सागर में डुबकी

दुनिया के सबसे बड़े कम्युनिस्ट देश चीन के अरबपति वांग जियानलिन ने पूंजीवादी अमेरिका के समृद्धों को पीछे छोड़ दिया है। जियानलिन अकेले नहीं हैं, चीन में अरबपतियों की संख्या बढ़ती गई है। इसी तरह भारत के संपन्नतम मुकेश अंबानी भी ताजा अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में विश्व के संपन्न व्यक्तियों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं। चीन और भारत में गरीबी और आर्थिक समस्याओं के बावजूद अरबपतियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
युवा पार्टियों के लिए ऑक्सीजन हैं

युवा पार्टियों के लिए ऑक्सीजन हैं

भारत में आजादी के आंदोलन में छात्रों और नौजवानों की अहम भूमिका रही थी। शहीद भगत सिंह, जयप्रकाश नारायण (जेपी) और लोहिया तक उस युवा शक्ति के क्रांतिकारी पक्ष के प्रतीक हैं।
दल से पहले देश की चिंता

दल से पहले देश की चिंता

जेएनयू में वामपंथ का गहरा प्रभाव रहा है। यहां वैकल्पिक विचारधारा को वैधानिक, नैतिक स्थान नहीं दिया गया। इस विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन के सभी अवशेष-माओवाद से लेकर ट्राटस्कीवाद तक मिल जाएंगे।
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