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कला-संस्कृति

मम्मा की डायरी के बहाने

मम्मा की डायरी के बहाने

इंडिया हैबिटेट सेंटर का केसोरिना हॉल। जब हम पहुंचे तो हॉल में गिनती के लोग। देखते ही देखते हॉल में बच्चों की शैतानियां शुरू हो गईं। मम्मियों की आंखें लाल होने लगीं और इस सबके बीच सज गया मंच, ‘मम्मा की डायरी’ पर बातों के लिए। नताशा ने संचालन का जिम्मा उठाया और लेखिका अनु सिंह चौधरी ने बातों की भूमिका बांधी। एक सवाल के साथ, ‘मैं मां न होती तो न जाने क्या होती?’ औपचारिक शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों की बनाई फिल्म, ‘आओगी न मां’ से हुई। संवाद के तौर-तरीके चिट्ठी-पत्री से बदल कर ईमेल तक पहुंचे।
वाणी का 51वां स्थापना दिवस

वाणी का 51वां स्थापना दिवस

वाणी प्रकाशन के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में ‘एथनोग्रफिक-हिस्ट्री-ऑफ-बुक्स बनाम कहानी-किताब-की’ कार्यक्रम हुआ। वक्ताओं में आशीष नंदी, मृणाल पांडे और अभय कुमार दूबे थे। कार्यक्रम की शुरुआत वाणी के निदेशक अरुण महेश्वरी ने की। यह कार्यक्रम वाणी प्रकाशन के इक्क्यावनवें स्थापना दिवस पर आयोजित किया गया था।
गहरे हैं रंग ' कैनवास पर प्रेम ' के

गहरे हैं रंग ' कैनवास पर प्रेम ' के

विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास 'कैनवास पर प्रेम ' के नाम ने आकर्षित किया था। नाम से कहानी का जो कुछ अंदाजा होता है वह ठीक-ठीक होते हुए भी उससे बहुत अलग भी है।
चेखव की कहानी:  छुई-मुई

चेखव की कहानी: छुई-मुई

अंतोन चेखव (1860-1904) को रूसी साहित्य में ही नहीं बल्कि विश्व साहित्य में महानतम कहानीकारों में से एक माना जाता है। उन्होंने न केवल कहानियां लिखीं, बल्कि चार कालजयी नाटक भी लिखे, जिनमें ‘चेरी का बगीचा’ और ‘तीन बहनें’ नाटकों को अप्रतिम माना जाता है। उनकी कहानियां विश्व के समीक्षकों और आलोचकों में बहुत सम्मान के साथ सराही जाती हैं। चेखव पेशे से चिकित्सक थे। अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उन्होंने कहानियां लिखना शुरू किया था और बाद में वह लेखक बन गए। वह कहा करते थे, डॉक्टरी मेरी धर्मपत्नी है और साहित्य प्रेमिका।
मालिनी अवस्थी ने किया श्रोताओं को मंत्रमुग्ध

मालिनी अवस्थी ने किया श्रोताओं को मंत्रमुग्ध

विख्यात गायिका मालिनी अवस्थी का एक मौलिक कार्यक्रम पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित हुआ। ओएनजीसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ‘डोली सज़ा के...’ की शुरुआत मुख्य अतिथि महेश शर्मा (राज्य मंत्री पर्यटन एवं संस्कृति) के हाथों दीप प्रज्वलन से हुई।
शहंशाह-ए-तरन्नुम को मिले भारत रत्नः मिलन सिंह

शहंशाह-ए-तरन्नुम को मिले भारत रत्नः मिलन सिंह

शहंशाह-ए-तरन्नुम मोहम्मद रफी के फैंस न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी एकजुट हो रहे हैं। वजह है कि अब रफी साहब को भी भारत रत्न से नवाजा जाए। आने वाले सप्ताह में सरकार के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए पूरी दुनिया से उनके फैंस दिल्ली में इक्ट्ठा हो रहे हैं।
मैत्रेयी पुष्पा बनीं दिल्ली हिंदी अकादमी की उपाध्यक्ष

मैत्रेयी पुष्पा बनीं दिल्ली हिंदी अकादमी की उपाध्यक्ष

वरिष्ठ कथाकार मैत्रेयी पुष्पा हिंदी अकादमी की नई उपाध्यक्ष बन गई हैं। हिंदी अकादमी हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार–प्रसार और उसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनी दिल्ली सरकार की भाषा अकादमी है।
‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

लोगों में आज सफल होने की होड़ तेजी से बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए जानी मानी लेखिका अलका सरावगी ने कहा कि आज बाजार सबके लिए मूल्यबोध के पैमाने बनने के साथ साधन एवं साध्य बन गया है और ऐसे में लेखकों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है।
ऑनलाइन सुखन का सुख

ऑनलाइन सुखन का सुख

आभासी संसार ने कई वास्तविक अनुभव दिए हैं। इनमें से ही है नए और युवा प्रकाशक जो जिन्होंने न सिर्फ रचनाओं को बदल दिया बल्कि इस उद्योग को भी।
कहानी - उदासी का कोना

कहानी - उदासी का कोना

पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कई पुस्तकों का लेखन किया है, जिनमें ‘संस्कृति : वर्चस्व और प्रतिरोध, ‘तीसरा रुख’, ‘विचार का अनंत’, ‘शिवदान सिंह चौहान’, ‘कबीर : साखी और सबद’, ‘मजबूती का नाम महात्मा गांधी’ (गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के वार्षिक भाषण का पुस्तक स्वरूप) 'अकथ कहानी प्रेम की : कबीर की कविता और उनका समय' प्रमुख हैं। प्रो॰ अग्रवाल की पुस्तक 'अकथ कहानी प्रेम की : कबीर की कविता और उनका समय' बहुत चर्चित पुस्तक रही है। वह एक प्रखर चिंतक और आलोचक हैं। उनका यात्रा-वृत्तांत ‘हिंदी सराय : अस्त्राखान वाया येरेवान' प्रकाशित हुआ है।