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आकांक्षा पारे काशि‍व

फिल्म समीक्षा : दाउद वर्सेज डैडी

फिल्म समीक्षा : दाउद वर्सेज डैडी

मुंबइया फिल्म उद्योग का पसंदीदा विषय है, गैंगवार, गैंगस्टर, भाई लोग। घूम फिर कर निर्माता-निर्देशक हर कुछ साल में इस विषय पर आ ही जाते हैं।
फिल्म समीक्षा: लड़कों का पोस्टर चल जाएगा

फिल्म समीक्षा: लड़कों का पोस्टर चल जाएगा

जब बॉक्स ऑफिस पर दो फिल्में टकराती हैं तो सबसे बड़ा सवाल होता है, कमाई कौन करेगा। कमाई का तो पता नहीं पर दर्शक डैडी के बजाय पोस्टर बॉएज देखना ज्यादा पसंद करेंगे यह कहा जा सकता है।
शुभ मंगल में असावधानी

शुभ मंगल में असावधानी

आनंद एल राय निर्माता के रूप में शायद ‘तनु वेड्स मनु’ से आगे कुछ चाह रहे थे। इस बार उन्होंने निर्देशन की बागडोर आर एस प्रसन्ना के हाथों में दे दी। फिल्म के कई संवादों पर खूब तालियां बजीं, ठहाके भी लगे। बालकनी में बैठने वाले शायद सीटी न बजा पाएं पर जो लोग ड्रेस सर्किल में बैठते हैं उनके लिए उसकी पूरी छूट है। इसका सिर्फ इतना सा कारण है कि फिल्म पहली बार सेक्स करने में अक्षम पुरुष पर खुल कर बात करती है।
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