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मैगज़ीन डिटेल

आवरण कथा/इंटरव्यू/ मुहम्मद सलीम: “बना रहे हैं मजबूत गठबंधन”

बंगाल में 23 साल सत्ता में रह चुके वाम मोर्चा की मौजूदा सियासी हालत कांग्रेस से बहुत बेहतर नहीं है

बिहार: नीतीश डाउन, आउट नहीं!

भाजपा के निरंतर बढ़ते वर्चस्व और विपक्ष के आरोपों के बीच नीतीश के सामने अपने खोए वजूद को फिर हासिल करने की चुनौती

उत्तराखंड: देवभूमि में आप के मंसूबे

आम आदमी पार्टी की बढ़ती गतिविधि से सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की पेशानी पर बल

उत्तर प्रदेश: छोटे दलों की नई बिसात

भाजपा को टक्कर देने के लिए उत्तर प्रदेश में छोटी पार्टियों के नए मोर्चे से लेकर नए दलों की एंट्री ने बढ़ाई हलचल

झारखंड: हेमंत के नए सुहाने सपने

सरकार के एक साल पूरा होने पर मुख्यमंत्री ने पेश की नई पर्यटन और खेल नीति, राजनैतिक पकड़ भी मजबूत की

मध्य प्रदेश: दबाव में बदली शिवराज बोली

मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से भाजपा नेताओं में बढ़ा असंतोष, ज्योतिरादित्य खेमे को मिली तरजीह, मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ीं

बंगाल की विकट जंग

अगले तीन-चार महीने में होने वाले विधानसभा चुनावों की कांटेदार लड़ाई कई जातीय और धार्मिक आख्यान और दो चेहरों की जंग बनती जा रही है

आवरण कथा/इंटरव्यू/ सौगत रॉय: “मोदी असर गैर-बंगालियों में ही”

बंगाल चुनावों में इस बार भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी चुनौती बन कर ममता बनर्जी के सामने खड़ी हो गई है

नए साल की फिल्में: क्या 2021 में लौटेंगे बॉलीवुड के अच्छे दिन?

बॉलीवुड के लिए 2020 ऐसा भयावह वर्ष रहा, जिसे फिल्म इंडस्ट्री भूल जाना ही पसंद करेगी

सप्तरंग

ग्लैमर जगत की हलचल

किसान आंदोलन: हक लेने का हौसला

प्रतिकूल मौसम, साथियों की मौतें भी किसानों के हौसले पस्त करने में नाकाम, किसानों की एकता ने गाढ़ी की सरकार की चिंता

पुस्तक समीक्षा: विभाजन और विस्थापन की त्रासदी

अलका सरावगी के लेखन में एक तरह की सघनता होती है, वे पूरे परिदृश्य को सूक्ष्मता से बुनती हैं

कोविड-19 वैक्सीन: टीका आया विवाद साथ लाया

दो कोविड-19 वैक्सीन को आपात मंजूरी पर विशेषज्ञों ने ट्रायल डेटा के अभाव की वजह से जताई हैरानी, वायरस के नए स्ट्रेन का बढ़ा खतरा

प्रथम दृष्टि: किसकी वैक्सीन?

स्वास्थ्य मंत्रालय और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों का यह दायित्व बनता है कि वह टीके से संबधित तमाम शंकाओं को यथाशीघ्र निर्मूल करें।

संपादक के नाम पत्र

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चर्चा में रहे जो

स्मृति: कई चांद बुझ गए सरे-आसमां

शम्सुर्रहमान फारूकी के चले जाने से कुछ यूं महसूस होता है जैसे अचानक हमारे आसमान से कई चांद एक साथ रुखसत हो गए हों

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