विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन के साहित्य में उपजा एंग्री यंग मैन, बाद में दुनिया भर में विविध रूपों में सिनेमाई परदे पर शोषण, अन्याय के प्रतिकार का प्रतीक बना तो उपभोक्तावादी संस्कृति को शह देने का कारण भी बना
कृष्णैया सहज और विनम्र होने के साथ कानून के पालन में अत्यंत सख्त थे
कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी मोर्चाबंदी में जेडी (एस) की किंगमेकर बनने की जोर आजमाइश, भारी एंटी-इन्कंबेंसी से कांग्रेस को शह मगर भाजपा के आखिरी मौके पर भावनात्मक हल्ला बोल के सवाल भी
जमीन, संसाधनों और पहचान की लड़ाई राजनैतिक वजहों से लावा बनकर फूट पड़ी, जख्म लंबे समय तक रह सकते हैं
प्रकाश सिंह बादल की श्रद्धांजलि सभा में उमड़े भाजपा नेताओं को देखते हुए टूटे गठबंधन के फिर जुड़ने के लग रहे हैं कयास
पचास साल पहले गढ़े गए किरदार ने सिस्टम को स्थायित्व प्रदान करने वाली फिल्म इंडस्ट्री में भूचाल ला दिया और ऐसे किरदार गढ़ने के कारण लेखकों की तूती बोलने लगी
जिस एंग्री यंग मैन किरदार से उस दौर के हर बड़े स्टार ने किनारा किया, उसी ने अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाया
टैक्सी नंबर 9211 (2006), वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई (2011), द डर्टी पिक्चर (2011) और किक (2014) जैसी कई हिट फिल्मों के लेखक रजत अरोड़ा
समाज के हालात जस के तस बने हुए हैं, लेकिन धीरे-धीरे हम एंग्री यंग मैन के बजाय एंटी हीरो को अपना नायक मान चुके हैं
सलीम-जावेद से पहले और बाद के हिंदी सिनेमा में फर्क इसी जोड़ी ने पैदा किया
खिलाड़ियों के लिए मस्ती करने या कमाने का नया जरिया बन गई है आभासी दुनिया
चुनावी राजनीति लगातार हैरान कर देने वाली हदें लांघती जा रही है, कर्नाटक चुनावों में इसकी हदों में और विस्तार हुआ, गालियां भी मुद्दा बनीं
पॉक्सो के तहत भी ब्रजभूषण सिंह की गिरफ्तारी न होने पर उठे सवाल, किसान नेताओं के समर्थन से पीड़ितों को मिला बल
राजशाही के खिलाफ उठती आवाजों के मद्देनजर किंग चार्ल्स तृतीय के लिए क्वीन एलिजाबेथ जैसा करिश्मा बरकरार रखना आसान नहीं होगा
किसी फिल्म के तथाकथित संवेदनशील विषय, दृश्यों और संवादों से आहत होकर उसके खिलाफ प्रदर्शन या प्रतिबंध महज उसके प्रति उत्सुकता बढ़ाने का काम करता है