कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों से कोषों एवं निवेशकों द्वारा चुनिंदा शेयरों की बिकवाली बढ़ाये जाने से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स आज शुरआती कारोबार में 139 अंक कमजोर रहा है।
विदेशी निवेशकों द्वारा हाथ खींचने के कारण शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक लगातार दूसरे दिन लुढ़कता रहा। आज यह तकरीबन 300 अंक गिरकर लगभग 27 हजार पर पहुंच गया जो कि एक सप्ताह में सबसे बड़ी गिरावट है।
भारतीय पूंजी बाजार को और व्यापक बनाने तथा कंपनियों और बुनियादी परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने के काम में आसानी के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रविवार को कई फैसले किए। इनमें नगर पालिका बांडों की सूचीबद्धता और देश में सिंगापुर और दुबई की तर्ज पर वित्तीय सेवा केंद्रों की स्थापना के नियम शामिल हैं।
बाजार नियामक सेबी की धोखाधड़ी का पता लगाने वाली प्रणाली की क्षमता बढ़ाने की योजना में विप्रो, एचसीएल, टेक महिंद्रा और एलएंडटी इन्फोटेक समेत सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कई प्रमुख कंपनियों ने काफी रूचि दिखाई है।
वैश्विक बाजार में अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुरूआती कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रूपया 50 पैसे कमजोर होकर 62.66 रूपये प्रति डॉलर पर आ गया है।
अदानी, टाटा मोटर्स और रिलायंस जैसी कंपनियों के शेयरों में भी 31 दिसंबर 2013 के बाद तेज वृद्धि देखने को मिली है क्योंकि इन सभी कंपनियों के मालिक लंबे समय से मोदी के करीब रहे हैं।
बिना भारतीय व्यवस्था में भ्रष्टाचार के क्या पाकिस्तानी आतंकवादी भी मुंबई में संहार कर सकते थे? उनके पास चार-चार सौ डॉलर के नोट मिले। कुछ रिपोर्टों के अनुसार समुद्र मार्ग से अवैध घुसपैठ कराने के लिए तटरक्षकों की रिश्वत दर 400 डॉलर है। अन्य रिपोर्टों के अनुसार कथित कठोर प्रशासन वाले गुजरात की कई मछुआरी नौकाएं विदेशी तस्करों के साथ संलिप्त हैं और शायद इसीलिए आतंकवादी ऐसी एक नौका को इतनी सरलता से गिरफ्त में लेकर मुंबई आ सके। लेकिन आतंकवादी विरोधी कठोर कानून, पाकिस्तान को कठोर कार्रवाई की धमकी और कुछ नेताओं का इस्तीफा मांगने वाले कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ इतनी सक्रियता क्यों नहीं दिखाते?