सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने आज कहा कि अपनी शिकायतों को व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले जवानों को सजा दी जा सकती है क्योंकि उनके इस कृत्य से देश की सीमाओं की रक्षा करने वालों का मनोबल गिरता है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के भारत के खिलाफ लगातार छद्म युद्ध करने के बावजूद हम नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल करना चाहते हैं।
सेना के एक जवान समेत सुरक्षा बलों के कुछ जवानों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी शिकायतें उठाने के बीच सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने आज सैनिकों से कहा कि अपनी बात देशभर के सेना मुख्यालयों में विभिन्न जगहों में रखी जाने वाली सुझाव-सह-शिकायत पेटिकाओं के माध्यम से सीधे उन तक पहुंचाएं।
अमेरिकी सेना ने खुद को अल्पसंख्यक धर्मो और संस्कृतियों के संदर्भ में अधिक समावेशी बनाते हुए हाल ही में एक नया नियमन जारी किया है। इस नियमन के जरिए सेना ने पगड़ी, हिजाब पहनने वाले या दाढ़ी रखने वाले लोगों को सेना में भर्ती होने की मंजूरी दे दी है।
वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर बिपिन रावत को आर्मी चीफ बनाए जाने के सरकार के फैसले का रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जोरदार ढंग से बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि अगर वरिष्ठता पर ही फैसला करना होता तो रक्षा मंत्री का क्या काम होता, यह काम तो कंप्यूटर का होता। इस बीच सरकार ने संकेत दिया है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद अमेरिका की तर्ज पर नहीं होगा।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जोखिम भरे इलाकों में सेना के लिए काम करने वाले सहायकों :पोर्टर: को बेहतर भुगतान, चिकित्सा सुविधा, बढ़ी हुई आर्थिक सहायता और सेवा से अलग होने की स्थिति में 50,000 रूपये की प्रस्तावित राशि से अधिक का अनुदान देने के लिए एक योजना तैयार करे।
पाकिस्तान ने शिवसेना, आरएसएस और विश्व हिंदूू परिषद को आतंकी संगठन करार दिया है। भारत ने इसका विरोध तो किया है लेकिन पाक के इरादे पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा। और तो आैैर पाक ने मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने में असफल रहने पर भारत की कूटनीति की मजाक भी उड़ाया है।
नए सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पाकिस्तान को दो टूक संदेश दिया है। बिपिन रावत ने कहा है कि हमारा देश और सेना अमन और शांति चाहती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम कमजोर हैं और अगर जरूरत आई तो अपनी ताकत का इस्तेमाल करने में कभी पीछे नहीं हटेंगे।
इसमें कोई शक नहीं है कि सेना प्रमुख या सेना के किसी भी अंग के प्रमुख की नियुक्ति करना सरकार का विशेषाधिकार है। ऐसे में लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति पर इतना शोर-शराबा क्यों मचाया जा रहा है। यह पहला मौका नहीं है जब किसी की वरिष्ठता को नकार कर दूसरे को सेना प्रमुख बनाया गया हो। इससे पूर्व 1983 में जनरल एएस वैद्य को सेना प्रमुख बनाया गया था जबकि ले. जनरल उनसे वरिष्ठ थे।