गौमांस की अफवाह पर पीट-पीटकर मारे गए मोहम्मद अखलाक के परिजनों से मिलने के लिए नेताओं का तांता लगा हुआ है। असदुद्दीन ओवैसी, महेश शर्मा, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अखलाक के परिजनों से मिलने की सुध आई है। लेकिन दादरी जाकर पीड़ितों से मिलने के बजाय अखिलेश यादव ने उन्हें लखनऊ बुलवा लिया।
एक तरफ गृह मंत्री राजनाथ सिंह दादरी कांड को राजनीतिक रंग न देने पर जोर दे रहे हैं जबकि दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के विधायक और मुजफ्फरनंगर दंगों में आरोपी रहे ठाकुर संगीत सोम ने दादरी पहुंचकर माहौल गरमा दिया। संगीत सोम ने एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कहा है कि गौहत्या करने वालों को यूपी सरकार हवाई जहाज से लखनऊ बुला रही है।
लखनऊ के फोटो जर्नलिस्ट आशुतोष त्रिपाठी के कैमरे से ली गईं कुछ तस्वीरों ने न सिर्फ एक बुजुर्ग टाइपिस्ट को इंसाफ दिलाया बल्कि सोशल मीडिया की ताकत का भी अहसास करा दिया। पूरी ईमानदारी और साहस से अपना फर्ज निभाने वाले आशुतोष के जज्बे की भी खूब तारीफ हो रही है।
सोशल मीडिया की बढ़ते महत्व को देखते हुए समाजवादी पार्टी अब मोबाइल एप्लीकेशन ‘एप’ के जरिए पार्टी की नीतियों के प्रचार-प्रसार करेगी। इसके लिए #samajwadiakhilesh समाजवादी अखिलेश के नाम से मोबाइल एप्लीकेशन ‘एप’ लांच किया गया।
उत्तर प्रदेश में सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव बढ़ गया है। ताजा टकराव लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर है। उतर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कराकर लोकायुक्त की नियुक्ति की जो फाइल राज्यपाल को भेजी थी। राज्यपाल ने उस फाइल को लौटा दिया।
मीरांबाई की संघर्ष-यात्रा को केंद्र में रखकर लिखा गया उपन्यास ‘रंग राची’ आखिरकार पाठकों तक पहुंच ही गया। दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में नामवर सिंह ने अध्यक्षीय आशीर्वचन दिया। उन्होंने कहा, ‘हिंदी में बहुत कवयित्रियां हुई लेकिन जो स्थान मीरां ने बनाया वह सब के लिए आदर्श है। मीरा को करूणा, दया के पात्र के रूप में देखने की जरूरत नहीं है, मीरां स्त्रियों के स्वाभिमान की प्रतीक हैं।’ इस उपन्यास को सुधाकर अदीब ने लिखा है और यह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
मसान यानी श्मशान के इर्द-गिर्द भी प्रेम पनपता है। जलती चिता से उठती चिंगारियां दिल की कोमलता को नहीं झुलसा पातीं। नीरज घायवन ने कम संसाधनों में एक बढ़िया फिल्म रच दी है। दो कहानियां अतंतः एक ही मंजिल को पहुंचती हैं, त्रासदी।