वैज्ञानिकों ने एक नई खोज में पाया कि कैसे शनि ग्रह के पर्यावरण से पानी के आयन निकल जाते हैं। उन्होंने एक ऐसे बिंदु का पता लगाया है जहां से यह आयन ग्रह के वातावरण से गायब हो जाते हैं।
नए जमाने की प्रौद्योगिकी में आप मोबाइल बैंकिंग और भुगतान के लिए अपने सेलफोन पर बहुत ज्यादा भरोसा करने लगे हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आपका फोन चोरी भी हो सकता है या गलत हाथों में भी जा सकता है और आपके खून-पसीने की कमाई पलक झपकते ही बर्बाद हो सकती है?
वैज्ञानिकों ने ऐसे प्रोटीन की पहचान की है जो दिल का दौरा पड़ने के बाद उसकी मांसपेशी की कोशिकाओं को फिर से बनाने में मदद करता है। अनुसंधाकर्ताओं ने यह भी बताया है कि हृदय के अंदर थोड़ी अधिक मात्रा में यह प्रोटीन रखा जाए तो चूहों और सुअरों में इससे न केवल हृदयघात के बाद दिल के कामकाज में सुधार होता है बल्कि उनके बचने की संभावना भी बढ़ जाती है।
मोटापे को लेकर हुए अपनी तरह के सबसे बड़े सर्वे में सामने आया है कि देश की 1.2 अरब की आबादी में से करीब 13 फीसदी लोग मोटापे से पीड़ित हो सकते हैं। यह विडंबना ही है क्योंकि हाल तक देश में कुपोषण एक बड़ी समस्या रहा है लेकिन अब एेसा लगता है कि मोटापा कुपोषण पर हावी होता जा रहा है।
यह 21वीं सदी का नमक सत्याग्रह है जिस पर महात्मा गांधी को भी गर्व होता। भारत ने आयोडिन युक्त नमक उत्पादन को लेकर एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी के खिलाफ पेटेंट की लड़ाई जीत ली है। नमक को लेकर यह लड़ाई भावनगर की एक सरकारी प्रयोगशाला ने जीती और दैनिक उपभोग के आयोडिन युक्त नमक बनाने के पेटेंट का नियंत्रण बहाल कर लिया। इस लड़ाई में बहुराष्ट्रीय कंपनी हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) को मात मिली।
जैसे चीजें चल रही हैं, भारतीय अनुसंधान परिषद का नाम जल्द ही भारतीय इतिहास गोलमाल परिषद कर देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले पहचान की एक गड़बड़ी को लें। भारत के गजट में अधिसूचित किया गया कि किन्हीं वी.वी हरिदास को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद का नया सदस्य नियुक्त किया गया है जो ‘कालीकट में इतिहास के प्रोफेसर’ हैं। जब इन हरिदास महाशय ने हिचकते हुए आईसीएचआर फोन करके कहा कि वह इससे बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं, तब पता चला कि यह वह हरिदास नहीं हैं जिनकी अनुशंसा मंत्रालय ने की थी। इतिहास में पीएचडी वी.वी हरिदास मंगलूर विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। लेकिन यह तो कोई दूसरे पी.टी हरिदास थे जिन्हें परिषद के लिए मनोनीत किया गया था हालांकि वह पी.एच.डी नहीं थे।
केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किसानों की मदद के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। फसलों को हुए नुकसान के सर्वे की रस्म अदायगी भी जारी है। लेकिन मेहनत की कमाई लुटा चुके किसानों के हाथ से मुआवजा अभी दूर है। दरअसल, फसलों के बीमा और मुआवजे की प्रक्रिया में इतने झोल हैं कि किसान तक सिर्फ आश्वासन ही पहुंच पाते हैं।
बेतरतीब निर्माण ने बढ़ाया विनाश का दायरा, सही नियोजन से 90 फीसदी नुकसान रोका जा सकता था, जापान से कुछ भी नहीं सीखा, आने वाले दिनों में बड़े भकंपों की आशंका, धरती की चट्टानों में बढ़ रही ऊर्जा की हलचल
गुजरात स्थित एक अनुसंधान संस्थान ने पदार्थ के चौथे रूप प्लाज्मा को स्थिर अवस्था सुपर कंडक्टिंग टोकामक (एसएसटी-।) में रोक कर रखने में अहम सफलता मिलने का दावा किया है।