तुर्की जलक्षेत्र में डूबे सीरियाई बच्चे की भयावह तस्वीरों ने पूरी दुनिया में लोगों की संवेदनाओं को झकझोर दिया है। तट पर मृत पड़े मिले तीन वर्षीय आयलान कुर्दी की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल होने के साथ ही यूरोप में शरणार्थी संकट पर बहस तेज छिड़ गई है। दुनिया भर में इस संकट की चर्चा हो रही है। यह बच्चा अपने परिवार के साथ नौका में सवार होकर यूनान जा रहा था लेकिन नौका बीच में ही डूब गई। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से यह अब तक का सबसे भीषण शरणार्थी संकट बताया जा रहा है।
तुम कितने तुच्छ, कंजूस और दिखावटी हो सकते हो इसका अंदाजा अभी हुआ। तुम ने तो उसका यश गाया था, उसका महिमा मंडन किया था, उसे अब तक के, लगभग सब से महान वैज्ञानिक की तरह प्रस्तुत किया था। उस पर तो सम्मानों और पदवियों की बारिश हुआ करती थी, उसे तो तुम ने देश के सब से बड़े नागरिक सम्मान से आभूषित किया था, उसे राष्ट्राध्यक्ष के पद पर आसीन किया था तुमने। और तुम्हीं ने तो हर गली, हर चौबारे से हर मकान की छत से ऐलान किया था कि यही है जनता का राष्ट्रपति !
पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम उल्लंघन के मुद्दे पर आज विदेश मंत्रालय ने पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया। लेकिन बासित ने उल्टे सीजफायर उल्लंघन के लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।
30 जुलाई को दो बहुचर्चित जनाजे निकले। एक खुले समुंदर के पास रामेश्वरम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ, तिरंगे में लिपटा। दूसरा, नागपुर केंद्रीय कारावास की कालकोठरी से निकाल फंदे पर झुला कर कब्रिस्तान के लिए रुखसत किया गया। एक सिंहासन चढ़ि चला तो एक बंधा जंजीर। काल की दो लीलाएं। मृत्यु के दो थिएटर। लेकिन एक ही देश के दो नागरिक, एक ही मजहब के दो लोग। हालांकि मृत्यु पूर्व जीवन के दो अलग-अलग रंगमंच। अब्दुल कलाम अपने रंगमंच पर भारतीय राज्य प्रतिष्ठान के हीरो और याकूब मेमन भारतीय राज्य प्रतिष्ठान का मुजरिम तो मुजरिम, विलेन भी। पहले को मौत के बाद भी मुख्यधारा जनमानस और सूचना-प्रचार तंत्र से ‘अमर रहे’ और ‘जिंदाबाद’ की विदाई। दूसरे के लिए मौत के पहले ही उसी मानस और तंत्र से ‘फांसी दो, फांसी दो’ तथा ‘मुर्दाबाद’ की गूंज जिसके आगे न्यायपालिका भी नतमस्तक हो गई।
रामेश्वरम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री डॉ. कलाम को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के निधन के साथ देश ने एक महान वैज्ञानिक, दार्शनिक और युवाओं को प्ररेणा से भर देने वाला व्यक्तित्व खो दिया है। उनकी सादगी और विचारों ने देशवासियों पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो जिंदगी के प्रति उनके नजरिए और सोच को जाहिर करते हुए हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।
दिल्ली लाया गया डॉ. एपीजे कलाम का पार्थिव शरीर। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति श्रद्धांजलि देने खुद एयरपोर्ट पहुंचे। राजाजी मार्ग स्थित सरकारी आवास पर डॉ. कलाम के अंतिम दर्शन।